प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा किनारे स्थित राजघाट परिसर में सर्व सेवा संघ और गांधी अध्ययन संस्थान पर क़ब्ज़े के लिए जब भगवा हुकूमत का पुलिसिया प्रशासन विध्वंस मचा रहा था तो मुझे उस क्षण की पीड़ा को महसूस करने के लिए वहाँ मौजूद रहना चाहिए था। इसलिए नहीं कि मैं उसे रोक सकता था बल्कि इस कारण कि अपने अतीत का स्मरण करते हुए मुझे उस कालिख का साक्षी बनना चाहिए था जो देश-दुनिया में गांधी-विनोबा के लाखों-करोड़ों अनुयाइयों के चेहरों पर सरकारी अतिक्रमणकारियों द्वारा गढ़े गए दस्तावेज़ों की मदद से पोती जा रही थी।