भारत गणतंत्र का संविधान स्वीकार किये जाने के एक दिन पहले 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा में डॉ. भीमराव आंबेडकर ने भारत को ‘नेशन इन मेकिंग’ (बनता हुआ राष्ट्र) कहा था। ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष बतौर दो साल 11 महीने और 17 दिन चली लंबी बहसों का अंतिम रूप से जवाब देने खड़े हुए डॉ. आंबेडकर ने कहा, “मेरा मानना है कि यह मानकर कि हम एक राष्ट्र हैं, हम एक बड़ा भ्रम पाले हुए हैं। एक राष्ट्र में लोग हज़ारों जातियों में कैसे बँट सकते हैं? जितना जल्दी हमें यह अहसास हो जाए कि हम दुनिया के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक अर्थों में अभी एक राष्ट्र नहीं हैं, हमारे लिए उतना ही बेहतर होगा। तभी हमें एक राष्ट्र बनने की आवश्यकता का अहसास होगा और लक्ष्य को साकार करने के तरीकों और साधनों के बारे में हम गंभीरता से सोचेंगे।”