देश के सबसे बड़े मीडिया हाउस की ओर से प्रकाशित हिंदी अख़बार ने 18 दिसंबर को अपने लखनऊ दफ्तर में ‘कम्युनिटी कनेक्ट’ के तहत ‘कायस्थ समागम’ कराया। कायस्थ जाति में पैदा हुए महापुरुषों का गुणगान किया और इससे संबंधित ख़बर छापी। हद तो ये कि इसमें प्रेमचंद जैसे महान लेखक को भी ‘जाति गौरव’ के रूप में याद किया गया जिन्होंने अपने लेखन में जातिप्रथा पर जमकर प्रहार किया था।
क्या अब ‘जाति-अख़बार’ निकलेंगे?
- विचार
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- 20 Dec, 2022

क्या जातिभेद ख़त्म करके ‘विशुद्ध भारतीय’ बनने की चुनौती के सामने भारतीय समाज के सभी अंगों ने आत्मसमर्पण कर दिया है? और मीडिया इसे किस रूप में ले रहा है?
हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक और प्रेमचंद साहित्य के मर्मज्ञ वीरेंद्र यादव ने इसे लेकर फ़ेसबुक पर लिखा- “इस हिन्दू समय में हिंदी अख़बार द्वारा जाति समागम का यह आयोजन हिंदी पत्रकारिता की अधोगति का ही द्योतक है। काश इस अख़बार के कारकूनों को पता होता कि वे क्या कर रहे हैं! सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय।”