लोकसभा चुनाव के नतीजों के आने के बाद मई 2014 में नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री का पद छोड़ प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने केअहमदाबाद से दिल्ली को रवाना हो रहे थे तो उस समय जहाज़ की सीढ़ी पर खड़े हो कर लोगों को हाथ हिलाते हुए उनकी मोहक तस्वीर देश की तमाम पत्र पत्रिकाओं ने छापा था। उस तस्वीर में एक अन्य चीज पर लोगों का ध्यान गया, चार्टर प्लेन के मालिक का नाम, यह नाम अडानी का था। अडानी की मुख्यमंत्री मोदी से निकटता के सच को उस समय गुजरात में सभी जानते थे। उद्योग क्षेत्र और शेयर बाजार के जानकारों को यह भी पता था कि जिस समय 2013 में भाजपा ने मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाने की घोषणा की थी उस दिन अडानी इंटरप्राइज के शेयर में 265 प्रतिशत का उछाल देखा गया।
आसान नहीं है गले की हड्डी बन चुके अडानी से मुक्ति पाना
- विचार
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- 29 Mar, 2025
अडानी के मामले में पीएम मोदी उनसे रिश्तों का अब चाहे लाख छिपाना चाहें, वो छिप नहीं सकता। देश में यह संदेश साफ जा चुका है कि अडानी-मोदी रिश्ते बहुत साफ हैं। इसे चाहकर भी नहीं छिपाया जा सकता।
