(...गतांक से आगे)‘इमरजेंसी को भारत एक ऐसे भयावह काल की तरह याद रखता है जिसने सभी संस्थाओं को विकृत करके भय के वातावरण का निर्माण किया था। न सिर्फ़ लोगों को, बल्कि विचार और कलात्मक स्वातंत्र्य को भी सत्तागत राजनीति ने बंधक बना दिया था।’ यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्विटर हैंडल पर दिया वह वक्तव्य है जो उन्होंने 25 जून 2021 को ट्वीट किया। सवाल यह उठता है कि क्या मोदी, भाजपा या 'संघ' परिवार को सचमुच लोगों और उनके विचार और कलात्मक चेतना के स्वतंत्र्य की फ़िक्र है? है तो कितनी?