पिछले छह-सात सालों के दौरान वैसे तो देश के हर प्रमुख संवैधानिक संस्थान ने सरकार के आगे ज़्यादा या कम समर्पण करके अपनी साख और विश्वसनीयता पर बट्टा लगवाया है, लेकिन चुनाव आयोग की साख तो लगभग पूरी तरह ही चौपट हो गई है। हैरानी की बात यह है कि अपने कामकाज और फ़ैसलों पर लगातार उठते सवालों के बावजूद चुनाव आयोग ऐसा कुछ करता नहीं दिखता, जिससे लगे कि वह अपनी मटियामेट हो चुकी साख को लेकर जरा भी चिंतित है।

पांच राज्यों से राज्यसभा की 8 सीटें खाली हुई हैं, जिनके लिए उपचुनाव होना है। लेकिन चुनाव आयोग ने इनमें से फ़िलहाल सिर्फ़ पश्चिम बंगाल की 1 सीट के लिए उपचुनाव कराने का ऐलान किया है।
ताज़ा मामला है राज्यसभा की खाली हुई कुछ सीटों का। पिछले दिनों पांच राज्यों से राज्यसभा की 8 सीटें खाली हुई हैं, जिनके लिए उपचुनाव होना है। इन 8 सीटों में 2 सीटें पश्चिम बंगाल की, 3 सीटें तमिलनाडु की और 1-1 सीट मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा असम की हैं। लेकिन चुनाव आयोग ने इनमें से फ़िलहाल सिर्फ़ पश्चिम बंगाल की 1 सीट के लिए उपचुनाव कराने का ऐलान किया है। इस सीट के लिए 9 अगस्त को उपचुनाव होगा, जिसके लिए 22 जुलाई को अधिसूचना जारी हो गई है। यह सीट दिनेश त्रिवेदी के इस्तीफे से खाली हुई है।