भारत जैसे सघन आबादी, ख़राब स्वास्थ्य सुविधा, ख़राब आवासों वाले देश के लिए कोरोना वायरस बहुत ही घातक है। सरकार ने इसे देखते हुए 21 दिन के लॉकडाउन/कर्फ्यू की घोषणा की है, जो कोरोना को फैलने से रोकने में काफ़ी मददगार हो सकती है। ऐसे में कंपनियों के साथ मज़दूर वर्ग और समाज के कमज़ोर तबक़े को इस दौरान आंशिक मदद पहुँचाने की कवायद में केंद्र व राज्य सरकारों ने कई घोषणाएँ की हैं। इनसे राहत मिलने की उम्मीद है। वहीं योजनाओं को लागू करने के स्तर पर ऐसी तमाम छोटी-छोटी गड़बड़ियाँ हो रही हैं, जो ज़िंदा रहने में कठिनाइयाँ पैदा कर रही हैं। आइए, सबसे पहले बात करते हैं सरकार की विभिन्न घोषणाओं की, जो आम जनता व कंपनियों को राहत पहुँचाने के लिए की गई हैं।
कोरोना: ग़रीबों की मदद के वादे तो ठीक हैं, सही से लागू नहीं हुए तो तबाही आएगी?
- विचार
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- 25 Mar, 2020

कोरोना को देखते हुए 21 दिन का लॉकडाउन/कर्फ्यू है। ऐसे में कंपनियों के साथ मज़दूर वर्ग और समाज के कमज़ोर तबक़े को इस दौरान आंशिक मदद पहुँचाने की कवायद में केंद्र व राज्य सरकारों ने कई घोषणाएँ की हैं। ये कितनी कारगर होंगी?
सरकार ने दिवालिया होने के कगार पर खड़ी संकटग्रस्त कंपनियों को दिवालिया होने से बचाने के लिए क़र्ज़ लौटाने में चूक की सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी है। इसके साथ ही इसने कहा है कि संकट लंबा खिंचा तो दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के प्रावधान को छह महीने की अवधि के लिए रोकने पर विचार करेगी। कंपनी ऑडिट रिपोर्ट ऑर्डर 2020 के क्रियान्वयन को एक साल आगे बढ़ा दिया है, अब यह 2020-21 में लागू होगा।