उत्तर प्रदेश के हापुड़ ज़िले के पिलखुआ में एक युवा ने आत्महत्या कर ली। सुसाइड नोट से पता चला है कि उसे कोरोना होने का डर था और वह लंबे समय से घर से कटा हुआ था। जनता कर्फ्यू के दौरान शाम 5 बजे लोगों ने घंटा, शंख, थाली पीटने की कवायद की। यह एक उदाहरण है कि आम नागरिकों में किस तरह से कोरोना वायरस का डर फैल गया है।
गाँवों में कोरोना पहुँचा तो जान ख़तरे में रहेगी ही, क़र्ज़ में भी डूबेंगे ग्रामीण
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- 24 Mar, 2020

कोरोना वायरस का गाँवों पर क्या असर होगा? अगर गाँव के लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है तो क़रीब 24.9 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं, जिन्हें क़र्ज़ लेना पड़ जाता है।
शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनता कर्फ्यू की घोषणा के बाद देश में अफरा-तफरी और भगदड़ का माहौल है। पुणे, मुंबई और बेंगलूरु जैसे शहरों से जो ख़बरें आईं उससे लगा कि लोग अपने घरों तक पहुँचने की कवायद कर रहे हैं। रेलवे स्टेशनों पर बेतहाशा भीड़ बढ़ गई। आख़िरकार रेलवे को लंबी दूरी की ट्रेनें भी रद्द करनी पड़ी। पटना शहर में बाहर से किसी तरह पहुँचे लोग बसों की छत पर यात्रा कर अपने गाँव-घर पहुँच जाना चाहते हैं।