कोरोना महामारी का सामना जितने लचर और अगंभीर तरीके से भारत सरकार ने किया है, उतना दुनिया के किसी और देश की सरकार ने नहीं। भारत सरकार ने इस महामारी के शुरुआती दौर में तो इसकी गंभीरता को ही नहीं समझा। जब यह महामारी भारत में प्रवेश कर चुकी थी तब भी सरकार 'नमस्ते ट्रंप’ जैसी फालतू और बेहद खर्चीली तमाशेबाजी और विपक्षी राज्य सरकारों को गिराने के अपने मनपसंद खेल में जुटी थी। इसी के चलते लॉकडाउन भी देरी से लागू किया गया।

कोरोना महामारी का सामना जितने लचर और अगंभीर तरीके से भारत सरकार ने किया है, उतना दुनिया के किसी और देश की सरकार ने नहीं।
बगैर किसी तैयारी के हड़बड़ी में लागू किए लॉकडाउन से देशभर में अफरातफरी मच गई। आम लोगों को न सिर्फ तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा बल्कि अपने घरों को लौट रहे कई प्रवासी मजदूरों की असमय मौत भी हो गई। उसी दौरान सरकार की लचर स्वास्थ्य सेवाओं की पोल भी खुली। अब कोरोना के टीकाकरण (वैक्सीनेशन) में भी वैसी ही हड़बड़ी दिखाई गई जिसके चलते अफरातफरी मची हुई है और कोरोना के टीके पर लोगों का भरोसा नहीं बन पा रहा है।