महात्मा गांधी की हत्या के संदर्भ में उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे के समर्थक और हिंदुत्वादी नेता अक्सर यह दलील देते रहते हैं कि गांधीजी ने भारत के बंटवारे को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया, उनकी वजह से ही पाकिस्तान बना और उन्होंने ही पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये दिलवाए, जिससे क्षुब्ध होकर गोडसे ने गांधी की हत्या की थी।

आज यानी 30 जनवरी को शहीद दिवस है। देश को आज़ादी दिलाने के लिए सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई थी। जानिए, गांधी क्यों आज भी प्रासंगिक हैं।
लेकिन हकीकत में यह दलील बिल्कुल बेबुनियाद और बकवास है। ऐसी दलील देने के पीछे उनका मकसद गोडसे को एक देशभक्त के रूप में पेश करना और गांधीजी की हत्या का औचित्य साबित करना होता है।
दरअसल, गांधीजी की हत्या के प्रयास लंदन में हुई गोलमेज कांफ्रेन्स में भाग लेकर उनके भारत लौटने के कुछ समय बाद 1934 से ही शुरू हो गए थे, जब पाकिस्तान नाम की कोई चीज पृथ्वी पर तो क्या पूरे ब्रह्मांड में कहीं नहीं थी। तब तक किसी ने पाकिस्तान का नाम ही नहीं सुना था, उन लोगों ने भी नहीं जिन्होंने बाद में पाकिस्तान की कल्पना की और उसे हकीकत में बदला भी।