नरेंद्र मोदी और उनकी प्रचार मंडली को इस बात का श्रेय दिया ही जाना चाहिए कि वे इस चुनाव में कई मामलों में बढ़त बना चुके हैं। सरकार, भाजपा की जगह मोदी की गारंटी और चार सौ पार जैसे नारों से उन्होंने अपने समर्थकों को उत्साहित करने की कोशिश की है। नए नारे या जुमले गढ़ने में मोदी जी का जबाब नहीं है। पहले भी काफी बार ऐसे नारे गढ़े गए थे और उनके न पूरा होने या चुनाव हारने के बाद अमित शाह को कहना पड़ा कि ये तो अपने कार्यकर्ताओं को उत्साहित और प्रेरित करने के लिए हैं।
बीजेपी कुछ भी कर ले, नहीं ख़त्म कर पाएगी प्रांतीय राजनीति?
- विचार
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- 29 Mar, 2025

पिछड़ा, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक, गरीब और ग्रामीण जनता ही क्षेत्रीय दलों का आधार है। क्या बीजेपी जैसी राष्ट्रीय पार्टी इन दलों की जगह ले पाएगी?
आज यह सवाल सबसे मौजू है कि चार सौ सीटें आएंगी कहां से। जो कोई राज्यवार हिसाब लगाता है वह सारी उदारता बरतते हुए भी 272 पार नहीं कर पाता क्योंकि उत्तर और पश्चिम के राज्यों में भाजपा ने पिछली बार लगभग सारी सीटें जीती थीं और दक्षिण तथा पूरब में बहुत कम। इस बार दक्षिण और पूरब में भी सीटें बढ़ने की जगह घटती लग रही हैं और उत्तर तथा पश्चिम में भी। वहां भाजपा के लिए सीटें बढ़ाने की गुंजाइश तो नहीं ही बची है। भाजपा को अपने सौ से ज्यादा सांसदों का टिकट काटना पड़ा है और जगह-जगह बगावत है। कई मंत्री बेटिकट रह गए हैं। दर्जन भर मुद्दों की रस्साकशी के बाद मोदी जी खुद मुद्दा बन गए हैं, सारा चुनाव अपने ऊपर ओढ़ लिया है। चुनाव घोषणा पत्र में सबसे ज्यादा 65 बार नरेंद्र मोदी शब्द आया है।