जिन दिनों एक अमेरिकी डॉलर की क़ीमत 82 भारतीय रुपये के पार हो रही है, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन विवेक देबरॉय कोई नया आर्थिक सिद्धांत प्रस्तावित करने के बजाय भारतीय संविधान को बदलने का जंतर बाँट रहे हैं। पिछले दिनों एक अख़बार में लेख लिखकर उन्होंने संविधान को पूरी तरह बदल डालने का आह्वान किया है। यूँ संविधान में संशोधन की व्यवस्था है, लेकिन उनकी नज़र में ये सब नाक़ाफ़ी हो चुका है। इससे पहले राज्यसभा में नामित किये गये सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई बुनियादी ढाँचे को अपरिवर्तनीय बताने के संविधान पीठ के फ़ैसले पर सवाल उठा चुके हैं। यही नहीं, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस रोक को लोकतंत्र के विरुद्ध बताकर एक नयी बहस छेड़ दी है।