जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय 15 अगस्त 1947 को नहीं हुआ था, औपनिवेशिक शासन ने सत्ता के हस्तांतरण में देशी रजवाड़ों को छूट दी थी कि वे चाहे तो हिंदुस्तान के साथ रहें या पाकिस्तान के साथ या फिर स्वतंत्र। अंततः नेहरू और शेख अब्दुल्ला से वार्ता के तहत राजा हरि सिंह ने भारत में विलय के दस्तावेज़ (इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेशन) पर सशर्त हस्ताक्षर किया। अनुच्छेद 370 विलय दस्तावेज़ की एक शर्त थी। इसके तहत रक्षा, विदेश संबंध, संचार तथा संधि-पत्र (विलय दस्तावेज़) में दर्ज अन्य अनुषांगिक मामलों के अलावा राज्य के लिए, नागरिकता, संपत्ति के स्वामित्व एवं मौलिक अधिकारों समेत किसी मामले में कोई क़ानून भारतीय संसद राज्य सरकार की सहमति से ही बना सकती थी।