लोग मेरे बारें में प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से कहते रहते हैं कि मैं हिंदू आस्थाओं पर आघात करता रहता हूँ, अन्य धर्मों, ख़ासकर इसलाम की या तो पक्षधरता करता हूँ या डर से उनपर कलम उठाने की हिम्मत नहीं करता। वैसे तो सफ़ाई देने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन फिर भी कुछ बातें स्पष्ट करना चाहता हूँ।