क्या लोकतंत्र का अर्थ बहुमत की तानाशाही है? क्या बहुमत जो खाता-पीता है, जैसे रहता-जीता है, जैसे पूजा-अर्चना करता है, वही सारे देश को करना होगा? पढ़िए, 8 अगस्त 2019 को लिखी नीरेंद्र नागर की टिप्पणी।
क्या जम्मू-कश्मीर के दो हिस्से करने से कश्मीर समस्या का समाधान हो जायेगा? क्या कश्मीर में आतंकवाद ख़त्म हो जायेगा? क्या आतंकवादी हिंसा पूरी तरह से दब जायेगी? पढ़िए, चार साल पहले आशुतोष ने क्या लिखा था।
अनुच्छेद 370 को ख़त्म होने की प्रक्रिया जल्द ही पूरी होने की संभावना है और जम्मू-कश्मीर दो हिस्सों में बाँट दिया गया है। लेकिन अमित शान ने जो दावा किया है कि इससे आतंकवाद ख़त्म हो जाएगा, क्या वास्तव में ऐसा हो पाएगा? देखिए सत्य हिंदी के लिए आशुतोष की बात में वरिष्ठ पत्रकार शैलेश के साथ बातचीत।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने की प्रक्रिया शुरू किए जाने का दुनिया के प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने हालात बिगड़ने के संकेत दिए हैं। ‘द गार्जियन’, ‘वाशिंगटन पोस्ट’ जैसे अख़बारों ने लिखा है कि इससे क्षेत्र में तनाव बढ़ेगा।
5 अगस्त 2019 को संसद में संकल्प में अमित शाह ने पूरा अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की बात नहीं की और केवल 2 और 3 को समाप्त करने की बात क्यों की? जानें क्या क़ानूनी उलझन थी? पढ़ें 4 साल पहले छपी यह रिपोर्ट।
1953 में शेख अब्दुल्ला की गिरफ्तारी से कश्मीर की सापेक्ष स्वायत्तता को समाप्त करने का जो सिलसिला नेहरू सरकार ने शुरू किया था, उसे मोदी सरकार ने तार्किक परिणति तक पहुँचा दिया है।
बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने एक तो अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। और दूसरे, जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बाँट दिया है। यह ऐतिहासिक फ़ैसला है या ऐतिहासिक भूल? देखिए सत्य हिंदी के लिए आशुतोष की बात में क्या होगा असर।
अनुच्छेद 370 में मिले अधिकारों के तहत राष्ट्रपति ने इस अनुच्छेद के खंड एक को छोड़कर बाक़ी प्रावधानों को ख़त्म किया है। यानी एक खंड अभी भी है। ऐसे में अनुच्छेद 370 ख़त्म कैसे हुआ? क्या यह सिर्फ़ शुरुआत भर नहीं है? क्या है वास्तविक स्थिति? आशुतोष की बात में देखिए शैलेश और आशुतोष की चर्चा।
केंद्र की एनडीए सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निर्वीर्य यानी शक्तिहीन करने की तैयारी कर ली है और गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में आज तत्संबंधी प्रस्ताव पेश किया।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने की सिफ़ारिश करने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पाकिस्तान ने भारत के इस फ़ैसले को ग़ैर-क़ानूनी क़रार देते हुए इससे मुक़ाबला करने की बात कही है।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने की सिफ़ारिश किए जाने का बीजेपी के धुर विरोधी रहे कई दलों ने भी समर्थन किया है। इसमें अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी, बीएसपी और एसपी जैसी पार्टियाँ प्रमुख हैं।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने की सिफ़ारिश किए जाने के बाद पीडीपी नेता और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिन क़रार दिया है।
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कुछ सिफ़ारिशें की हैं। शाह ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प राज्यसभा में पेश किया।