इमरोज साहिब नहीं रहे। मुंबई  में 97 वर्ष की उम्र में वे चल बसे। वो एक बेहतरीन चित्रकार थे। पर उन्हें पंजाबी की प्रसिद्ध लेखिका स्व.अमृता प्रीतम के 'प्रेम सहयात्री' के रूप में युगों तक याद किया जाएगा।आज अचानक जब उनके गुजर जाने की खबर पढी, तो वर्ष 2009 के अप्रैल महीने में दिल्ली के हौजखास स्थित अमृता प्रीतम के आवास पर उनके संग देर तक हुई अंतरंग मुलाकात की याद बरबस हो आई।वह एक ऐसी शाम थी,जब इमरोज साहिब और हमारे बीच अमृता जी की लगातार अदृश्य उपस्थिति थी।इमरोज बड़े भरोसे से कहते रहे कि अमृता यहीं है।वह हमारी बातचीत चुप मुस्कराहट के साथ अभी सुन रही हैं।