फ़िल्मी सितारों के साथ यह अक्सर होता है कि कोई ख़ास छवि उनके साथ स्थायी रूप से जुड़ जाती है और जब भी उनको याद किया जाता है तो वह छवि अनायास ही आ जाती है। सहज रूप से। भले ही उस सितारे ने और भी बड़े काम किए हों, बड़ी भूमिकाएँ और यादगार भूमिकाएँ निभाई हों, लेकिन उसके बारे में बातचीत की हर शुरुआत उसी ख़ास छवि से होती है। आज जब ऋषि कपूर हमारे बीच नहीं रहे तो उनकी याद के सिलसिले में `बॉबी’ फ़िल्म का नाम सबसे पहले आता है। हालाँकि वह उनकी पहली फ़िल्म नहीं थी और तीन साल की उम्र में वह `श्री 420’ नाम की फ़िल्म में आ चुके थे जिसके बारे में ऋषि कपूर ने कहा था कि नर्गिस ने चॉकलेट खिलाकर उनसे वह रोल कराया था। राजकपूर की एक और यादगार फ़िल्म `मेरा नाम जोकर’ में भी ऋषि कपूर ने काम किया था। लेकिन 1973 में डिंपल कपाड़िया के साथ आई `बॉबी’ ने न सिर्फ़ ऋषि कपूर को एक नए मोड़ पर खड़ा कर दिया बल्कि हिंदी फ़िल्म उद्योग के मिज़ाज को बदल दिया।