आज से कोई तीन दशक पहले, लाल कृष्ण अडवाणी की रथ यात्रा और कल्याण सिंह का ओबीसी कार्ड, बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश में सत्ता के द्वार खोलने के दो प्रमुख आधार माने गए हैं।
यूपी में बीजेपी को किसी नये कल्याण सिंह की ज़रूरत!
- श्रद्धांजलि
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- 22 Aug, 2021
आज कल्याण सिंह के जाने के बाद, उनके कद के ओबीसी नेता के अभाव में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में फिर अति पिछड़े वोट बैंक को पाने के लिये किसी नए कल्याण सिंह की ज़रूरत महसूस हो रही है।

मंदिर बनने के बाद अडवाणी की ज़रूरत तो बीजेपी को महसूस नहीं हुई लेकिन कल्याण सिंह का यूँ जाना, यूपी में पार्टी के लिए शोक के साथ साथ एक बड़ा झटका है।
कल्याण सिंह के पाँच दशक के राजनीतिक सफर को ग़ौर से देखें तो ओबीसी का उन्हें ज़बरदस्त समर्थन, जहाँ उनकी एक बड़ी ताक़त भी था वहीं एक समय ऐसा भी आया जब ये कार्ड उनकी कमज़ोरी भी बना। दरअसल कई महत्वाकांक्षी सवर्ण नेताओं को लगता था कि कल्याण सिंह के रहते, उन्हें लखनऊ में सीएम की कुर्सी शायद ही कभी मिल पाए। इसलिए कल्याण सिंह भीतरघात के शिकार भी हुए।