साप्ताहिक टैबलॉयड 'ब्लिट्ज' को बंद हुए बरसों हो गए हैं और इसके संस्थापक-संपादक हरफनमौला पत्रकार रूसी करंजिया (रुस्तम खुर्शीदजी करंजिया) उर्फ आर.के. करंजिया भी 1 फरवरी, 2008 को इस दुनिया को अलविदा कह गए थे। दोनों की याद लाखों लोगों के जेहन में अभी भी ताजा है। 'ब्लिट्ज' और करंजिया एक-दूसरे के पूरक थे और दोनों के पाठक-प्रशंसक लाखों की तादाद में थे। भारत में तथ्यात्मक खोजी पत्रकारिता की बुनियाद रखने और उसे मान्यता दिलाने का श्रेय इन दोनों को जाता है। आर.के. करंजिया अपने आप में भारतीय पत्रकारिता का एक स्कूल थे और उनके जिक्र के बग़ैर पत्रकारिता का इतिहास सदा अधूरा रहेगा।