महिलाओं की आज़ादी जैसे विषयों पर लिखने वाली और नई कहानी की सशक्त हस्ताक्षर मन्नू भंडारी का निधन सोमवार को हो गया। उनकी पहचान 'महाभोज' और 'आपका बंटी' जैसे उपन्यासों से है, पर कई दशकों तक लगातार लेखन में सक्रिय रहने वाली मन्नू भंडारी ने इसके इतर दूसरे विषयों पर भी अपनी कलम चलाई है।
मध्य प्रदेश के मंदसौर में 3 अप्रैल 1931 को जन्मी मन्नू भंडारी सुप्रसिद्ध साहित्यकार राजेंद्र यादव की पत्नी थीं, पर उनकी अपनी अलग पहचान थी और हिन्दी साहित्य में उनका अलग और महत्वपूर्ण स्थान था।
'एक इंच मुस्कान'
मन्नू भंडारी का पहला उपन्या 'एक इंच मुस्कान' 1961 में प्रकाशित हुआ, जो उन्होंने मशहूर साहित्यकार राजेंद्र यादव के साथ मिल कर लिखा था। प्रेम त्रिकोण पर लिखी यह किताब अपने समय में काफी चर्चित हुई थी और लोगों ने इसे बहुत पसंद किया था। लेकिन उन्होंने पहली किताब 'मैं हार गई' 1957 में ही लिखी थी।
'आपका बंटी'
मन्नू भंडारी को सबसे ज़्यादा शोहरत मिली 'आपका बंटी' से, जिसमें प्रेम, विवाह, तलाक़ और वैवाहिक रिश्ते के टूटने-बिखरने की कहानी है। इसे हिन्दी साहित्य का मील का पत्थर माना जाता है। इस पर 'समय की धारा' नामक फ़िल्म बनी थी। इस किताब का अनुवाद बांग्ला, अंग्रेजी और फ्रांसीसी में हुआ। इस पुस्तक से मन्नू भंडारी हिन्दी साहित्य की सुपर स्टार बन कर उभरीं।
'यही सच है'
'यही सच है' एक विस्फोटक कथावस्तु पर लिखी गई थी, जिसमें एक महिला एक साथ अपने दो प्रेमियों से जुड़ी हुई हैं, एक अतीत का प्रेमी और दूसरा मौजूदा प्रेमी है और नायिका दोनों के संपर्क में है।
'महाभोज'
लेकिन मील का पत्थर साबित हुआ 1979 में प्रकाशित 'महाभोज'। यह उपन्यास भ्रष्ट अफ़सरशाही, राजनीति और बिखरते हुए समाज के बीच संघर्ष करते हुए मध्यम वर्गीय आदमी की कहानी है।
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