एक पत्रकार के तौर पर मेरे लिए तारक सिन्हा पहले ‘इंटरनेशनल’ थे जिनसे मैं अपने करियर की शुरुआत में मिला। बात शायद 2002 की शुरुआत की रही होगी जब वह भारतीय महिला क्रिकेट टीम के कोच बनाये गये थे जिसमें मिथाली राज और झूलन गोस्वामी जैसी प्रतिभायें थीं। सिन्हा की कोचिंग में उस टीम ने साउथ अफ्रीका के दौरे पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी लेकिन हैरानी की बात है कि उन्हें कभी भी बीसीसीआई ने सहायक कोच के भी लायक नहीं समझा।