कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का बुधवार तड़के निधन हो गया। वह 71 साल के थे। उनके बेटे फ़ैसल पटेल ने यह जानकारी दी। पटेल को कुछ वक़्त पहले कोरोना हुआ था। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी समेत कई बड़े नेताओं ने शोक जताया है।
तीन दिन के भीतर ही कांग्रेस के दूसरे बड़े नेता की मौत हुई है। इससे पहले असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरूण गोगोई का भी निधन हो गया था। उन्हें भी कोरोना हुआ था।
फ़ैसल पटेल ने बताया है कि उनके पिता की मौत सुबह 3.30 बजे हुई। कोरोना के बाद उन्हें मल्टीपल ऑर्गन फ़ेल्योर हुआ, जिसकी वजह से उनकी तबीयत ज़्यादा बिगड़ गई। उन्होंने शुभचिंतकों से कहा है कि कोरोना की वजह से ज़्यादा संख्या में इकट्ठे न हों और सभी जगह सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कांग्रेस को मजबूत बनाने में पटेल के योगदान को हमेशा याद किया जाता रहेगा। उन्होंने समाज की लंबे वक़्त तक सेवा की।
Saddened by the demise of Ahmed Patel Ji. He spent years in public life, serving society. Known for his sharp mind, his role in strengthening the Congress Party would always be remembered. Spoke to his son Faisal and expressed condolences. May Ahmed Bhai’s soul rest in peace.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 25, 2020
It is a sad day. Shri Ahmed Patel was a pillar of the Congress party. He lived and breathed Congress and stood with the party through its most difficult times. He was a tremendous asset.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 25, 2020
We will miss him. My love and condolences to Faisal, Mumtaz & the family. pic.twitter.com/sZaOXOIMEX
पटेल के निधन पर वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, अभिषेक मनु सिंघवी सहित कई लोगों ने दुख जताया है।
सोनिया के सलाहकार रहे पटेल
अहमद पटेल लंबे वक़्त तक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे। उन्हें सोनिया के सबसे भरोसेमंद लोगों में शुमार किया जाता था। पटेल आठ बार गुजरात से सांसद रहे। उन्होंने तीन बार लोकसभा का चुनाव जीता जबकि पांच बार वह राज्यसभा के लिए चुने गए।
पटेल ने अपना राजनीतिक करियर 1976 में गुजरात के भरूच जिले से शुरू किया था। राज्य कांग्रेस में कई पदों पर रहने के बाद 1985 में वह राजीव गांधी के संसदीय सचिव बने। वह जवाहर भवन ट्रस्ट के सचिव भी रहे। पटेल को ऐसे नेता के तौर पर जाना जाता था, जो पर्दे के पीछे से काम करता था और मीडिया से दूरी बनाए रखता था।
पटेल को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का कोषाध्यक्ष भी बनाया गया था। 2017 में उनके राज्यसभा सदस्य के चुनाव के दौरान काफी विवाद हुआ था। यूपीए सरकार के कार्यकाल (2004-2014) के दौरान पटेल कांग्रेस पार्टी के संकटमोचक के तौर पर काम करते रहे। वह सरकार और संगठन के बीच तालमेल बनाने में जुटे रहे।
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