मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार का ‘गाय प्रेम’ सवालों के घेरे में हैं। मध्य प्रदेश की बदहाली किसी से छिपी हुई नहीं है। कोरोना ने राज्य के खजाने को कंगाल कर दिया है। स्वास्थ्य, शिक्षा और रोज़गार सरीखे के मूलभूत मसलों से कहीं ज़्यादा तवज्जो पाने वाले मसलों को लेकर अब सरकार की कान खिंचाई तेज़ हो चली है।
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार इन दिनों गाय प्रेम को लेकर सुर्खियों में हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने पिछले सप्ताह छह विभागों को आगे करते हुए गौ-कैबिनेट का गठन किया है। गौ-कैबिनेट की पहली बैठक गत दिवस भोपाल में हुई है।
बैठक में शिवराज सरकार ने गौ-धन के संरक्षण और संवर्धन के लिए ‘काउ टैक्स’ लगाने का निर्णय लिया है। काउ टैक्स को लेकर फ़ॉर्मूला तैयार करने के निर्देश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दे दिए हैं।
मध्य प्रदेश अनेक मसलों को लेकर देश भर में खासा सुर्खियों में रहता है। महिलाओं के उत्पीड़न में सूबा काफ़ी वक़्त से ऊपरी पायदान पर बना हुआ है। रेप स्टेट का तमगा भी मध्य प्रदेश का पीछा नहीं छोड़ता है। कुपोषण चरम पर है। राष्ट्रीय परिदृश्य में कुपोषण के मोर्चे पर मध्य प्रदेश देश में तीसरे क्रम पर बना हुआ है। मध्य प्रदेश में कुपोषण से 2016 से 2018 के बीच 57 हज़ार बच्चों ने दम तोड़ा था।
स्वास्थ्य से जुड़े 21 मापदंडों पर आधारित एक हालिया राष्ट्रीय रैंकिंग में मध्य प्रदेश 17वें क्रम पर आया। राज्य में शिक्षा के हाल बेहद चिंतनीय हैं। साल 2013 से 70 हज़ार शिक्षकों के पद रिक्त पड़े हैं। छह हज़ार स्कूल प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे चल रहे हैं। सूबे में 18 हज़ार स्कूल ऐसे हैं, जहाँ महज़ एक ही शिक्षक है। राज्य के 50 हज़ार स्कूल ऐसे हैं जिनके पास बिजली का कनेक्शन ही नहीं है।
कुल जमा 1 लाख 20 हज़ार सरकारी स्कूलों वाला मध्य प्रदेश स्कूलों को मूलभूत सुविधाएँ देने के मामले में राष्ट्रीय तुलना में 17वें क्रम पर बना हुआ है। ऐसे हालातों की वजह से ही शिवराज सरकार का ‘गौ प्रेम’ सुर्खियों में आया है। सवाल उठे हैं।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी, शिवराज सरकार के गौ प्रेम से इत्तेफ़ाक नहीं रखते। उन्होंने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा,
‘सूबे में करने के लिए अनेक काम हैं। विशेष तौर पर स्वास्थ्य, शिक्षा और युवाओं को रोज़गार के मुद्दे पर सरकारों को सबसे ज़्यादा ध्यान देना चाहिए।’
वह कहते हैं,
‘गाय आस्था का विषय है, लेकिन गाय की पूछ-परख और उसे लेकर फ़ैसलों से पहले आम इंसान के लिए बेहद आवश्यक मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान पहले दिया जाना चाहिए।’
मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के.के. मिश्रा शिवराज सरकार के गौ-प्रेम को नौटंकी क़रार दे रहे हैं। वह कहते हैं,
‘मध्य प्रदेश की तत्कालीन कमलनाथ सरकार के गाय से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों ने बीजेपी को परेशान कर दिया। गाय पर बीजेपी राजनीति करती रही। कमलनाथ की सरकार आयी तो उसने गौ संरक्षण और संवर्धन के लिए असली काम किया। बीजेपी और शिवराज उसी से घबराये हुए हैं।’
मिश्रा कहते हैं,
‘आप मीडिया वालों ने ही शिवराज सरकार में बने देश के पहले गौ-अभ्यारण्य की असली तसवीर हाल ही में दिखाई है। मध्य प्रदेश के आगर मालवा स्थित अभ्यारण्य में गायों की सिलसिलेवार मौतें हो रही हैं। स-सम्मान अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा है। चील-कौव्वे और कुत्तों द्वारा गायों के शवों को नोच-नोचकर खाने की तसवीरें मीडिया में आ रही हैं।’
मिश्रा तंज कसते हैं, ‘बीजेपी और शिवराज का कथित गौ-प्रेम, आगर मालवा के अभ्यारण्य में दिखलाई पड़ रहा है।’
उधर मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल गाय का सबसे बड़ा पैरोकार शिवराज सरकार को बता रहे हैं। वह कहते हैं, ‘दिग्विजय सिंह सरकार में गौचर भूमि छिनी गई। कमलनाथ की सरकार में चारे और पानी के अभाव में सैकड़ों गायों की असामयिक एवं दर्दनाक मौतें हुईं। हज़ारों गायें बीमार पड़ीं।’
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