मध्य प्रदेश में सत्ता और पार्टी नेताओं के बीच चल रहा ‘घमासान’ अब सतह पर आ गया है। सिंहस्थ के मद्देनजर जमीनों के लैंडयूज से जुड़े कानूनी बदलाव और इससे भू-माफिया को होने वाले बड़े फायदे को लेकर उठी तीखी आवाजों को दबाने के लिए पार्टी आलाकमान के निर्देश पर भाजपा के पूर्व सांसद एवं मौजूदा विधायक चिंतामणि मालवीय को कारण बताओ नोटिस थमा दिया गया है।
चिंतामणि मालवीय आलोट सीट से विधायक हैं। पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष पद का दायित्व भी उन्हें मिला हुआ है। वे उज्जैन के पूर्व सांसद हैं।
उज्जैन में 27 मार्च 2028 से 27 मई 2028 तक सिंहस्थ होना है। सरकार इसकी तैयारियों में जुटी है। लैंडयूज को लेकर मोहन यादव सरकार ने कई कानूनी बदलाव किए हैं। मौजूदा सरकार की मंशा सिंहस्थ में भूमि अधिग्रहण कर स्थायी निर्माण और जमीन देने वाले किसानों को कई तरह के कथित लाभ देने की है।
ताजा ख़बरें
भाजपा के पूर्व सांसद, मौजूदा विधायक एवं पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. चिंतामणि मालवीय सहित भाजपा के अनेक नेताओं नें इस पर आपत्तियां की हैं।
राज्य विधानसभा सत्र के दौरान 18 मार्च को चिंतामणि मालवीय ने मसले को उठाया था। मालवीय ने उज्जैन में सिंहस्थ मेला क्षेत्र की जमीन पर कांक्रीट निर्माण को लेकर सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने आरोप लगाया था, ‘स्पिरिचुअल सिटी के नाम पर कॉलोनाइजर्स को फायदा पहुंचाने की साजिश हो रही है। उज्जैन का किसान डरा हुआ है। किसानों की जमीन पहले अस्थायी रूप से ली जाती थी, लेकिन अब स्थानीय अधिग्रहण के नोटिस भेजे जा रहे हैं।’
चिंतामणि मालवीय ने एक तल्ख टिप्पणी यह भी की थी, ‘कोई व्यक्ति दस या बीस हजार करोड़ कमा सकता है, लेकिन याद रखें कि कफन में जेब नहीं होती।’
बताते हैं पूरा घटनाक्रम दिल्ली पहुंचाया गया था। स्वयं मुख्यमंत्री मोहन यादव गत दिवस दिल्ली में थे। उनकी मुलाकात दिल्ली में आला नेताओं से हुई थी। रविवार शाम को भाजपा की राज्य इकाई ने मालवीय को नोटिस थमा दिया है।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के साइन वाले कारण बताओ नोटिस में लिखा गया है, ‘मालवीय, लगातार सार्वजनिक स्थानों पर सरकार की आलोचना कर रहे हैं। इससे पार्टी की छवि को नुकसान हो रहा है। यह अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है।’
इस नोटिस के अनुसार, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर जारी कारण बताओ को उन्हें (मालवीय को) सात दिन में स्पष्टीकरण देना है। अगर जवाब नहीं दिया तो अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है। इन नोटिस की प्रति जेपी नड्डा के अलावा राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव सहित 10 नेताओं को भेजी गई है।
मालवीय का इनकार
चिंतामणि मालवीय ने कारण बताओ नोटिस के बाद कहा है, ‘मैंने सार्वजनिक तौर पर कोई भी ऐसा बयान नहीं दिया है जिससे पार्टी या सरकार की छवि खराब हो। मुझे नोटिस मिला नहीं है, जब मिलेगा तो जवाब दूंगा।’ उन्होंने कहा है, ‘विधानसभा में जो बातें कहीं हैं, क्षेत्र का विधायक होने के नाते मसला उठाना मेरा कर्त्तव्य है। वो पार्टी का विषय नहीं है।’सिंहस्थ निर्माण को लेकर पहले भी उठे हैं सवालः सिंहस्थ से जुड़े निर्माण कार्यों को लेकर पहले भी सवाल उठ चुके हैं। सड़कों के निर्माण से जुड़े प्रस्तावों को लेकर कैबिनेट बैठक में सीनियर मिनिस्टर कैलाश विजयवर्गीय और प्रह्लाद पटेल द्वारा ऊंगलियां उठाने संबंधी खबरें बीते दिनों बाहर आयीं थीं।
सिंहस्थ के लिए कैबिनेट में आये प्रस्तावित सड़कों के निर्माण और सड़क निर्माण की प्रस्तावित लागत को लेकर वरिष्ठ मंत्रियों ने आपत्तियां जताईं थीं। बवाल हुआ था। बाद में मामला ठंडा पड़ गया था। सूत्र बताते हैं वरिष्ठ मंत्रियों ने जिन सड़कों के प्रस्तावों को गैरवाजिब करार दिया था और जिनकी लागत को लेकर आपत्तियां जताईं थीं, उन सड़कों के निर्माण के टेंडर कैबिनेट में प्रस्तुत प्रस्ताव के मुताबिक हो चुके हैं। काम आरंभ हो रहा है।
मध्य प्रदेश से और खबरें
उज्जैन सिंहस्थ मेला क्षेत्र से जुड़ी जमीनों के लैंडयूज चैंज को लेकर शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्रित्वकाल में भी जमकर बवाल हुआ था। शिवराज सरकार में मेला क्षेत्र की अनेक जमीनों का लैंडयूज चैंज हुआ था। तब मंत्री रहे उज्जैन के तत्कालीन भाजपा विधायक पारस जैन ने खुली आपत्तियां कीं थीं। अन्य आपत्तियां भी सामने आयीं थीं। भारी बवाल के बाद कैबिनेट के डिसीजन को तत्कालीन शिवराज सरकार को निरस्त करना पड़ा था।
अपनी राय बतायें