क़रीब एक महीने पहले ही चौधरी अजित सिंह से फोन पर बात हुई थी और तय हुआ था कि जल्दी ही हम लोग मिलकर दोपहर का भोजन साथ करेंगे और तमाम मुद्दों पर बातचीत करेंगे। इस बातचीत में मैंने उनसे कहा कि वो अपना ख्याल रखें और अभी कुछ दिन मिलना जुलना बंद रखें। अपनी आदत के मुताबिक़ जोर से हँसते हुए अजित सिंह ने कहा कि भाई मैं अब उम्र के 83वें साल में हूँ इसलिए सावधानी तो बरत रहा हूँ लेकिन जितने दिन भी जीना है किसानों की आवाज़ तो आप जैसे दोस्तों से मिलकर उठाता रहूँगा।
अजित सिंह: विपक्ष का एक चमकदार चेहरा जो संभावना बनने से पहले धुंधला हो गया
- श्रद्धांजलि
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- 7 May, 2021

पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाकर हरित प्रदेश बनाने का उनका मुद्दा था जिसे वह अक्सर गरम करते रहते थे। इसे लेकर मेरे साथ उनकी अक्सर बहस होती थी। मैं कहता था उन्हें छोटे राज्य के चक्कर में न पड़कर राष्ट्रीय राजनीति में अपनी जगह पानी चाहिए। लेकिन वह कहते थे कि चौधरी चरण सिंह भी गंगा प्रदेश बनाने की बात करते थे...
इस बातचीत के कुछ ही दिनों बाद ख़बर आई कि अजित सिंह कोरोना से संक्रमित हो गए हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। मैं और मेरे जैसे उनके तमाम मित्र और शुभचिंतक उनके जल्दी स्वस्थ होने की दुआ कर रहे थे। लेकिन अजित सिंह सबको छोड़कर इस दुनिया से तब चले गए जब उनके जैसे नेता की किसानों को बहुत ज़रूरत थी।
चौधरी अजित सिंह से मेरा परिचय और रिश्ता तब से है जब 1986 में चौधरी चरण सिंह की मृत्यु के बाद वह राजनीति में सक्रिय हो गए थे। संयोग से उन दिनों मैं दिल्ली के एक राष्ट्रीय दैनिक के पश्चिमी उत्तर प्रदेश संवाददाता के रूप में मेरठ में तैनात था।