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सैफ अली खान नए संकट में? नवाब का तमगा, अरबों की संपत्ति दांव पर

कातिलाना हमले के बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर घर पहुंचे एक्टर सैफ अली खान के सामने एक नया संकट आ खड़ा हुआ है। सैफ को भोपाल के ‘नवाब’ तमगा भी हासिल है। आज़ादी के पहले की भोपाल रियासत एवं आज मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और इसके आसपास सैफ के नाम अरबों की संपत्ति है। कोर्ट के एक आदेश एवं समय रहते राहत नहीं लेने या मिलने से, सैफ अली खान का ‘नवाब’ का तमगा और संपत्ति पर कानूनी तलवार लटकी बताई गई है।

भोपाल रियासत की नवाब संपत्ति से हाई कोर्ट के स्टे से जुड़े मामले पर निर्णय हुआ है। बीते माह की 13 तारीख़ को कोर्ट का निर्णय आया। इस पर महीने भर में राहत ली जा सकती थी। वह अवधि निकल गई है। कोई अपील या नये निर्देश कोर्ट के नहीं आये हैं। अब जो तस्वीर उभरकर सामने आयी है उसी के चलते सैफ अली के नवाब के पुराने तमगे और भोपाल रियासत वाली लगभग 15 हजार करोड़ रुपयों की अनुमानित परिसंपत्तियाँ संकट में पड़ गई बताई जा रही हैं।

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जानकार कह रहे हैं कोर्ट के रूख के बाद शत्रु संपत्तियों को सरकार अधिग्रहित कर सकती है। संपत्ति तो अपनी जगह है, लेकिन ‘भोपाल नवाब’ का खानदानी तमगा भी नहीं बच पायेगा, यह भी कहा जा रहा है।

भोपाल के सीनियर एडवोकेट और मर्जर एवं नवाब संपत्ति मामलों के जानकार जगदीश छाबानी ने ‘सत्य हिन्दी’ को बताया, 13 दिसंबर 2024 को हाईकोर्ट ने एक व्यवस्था दी है। कोई राहत अब तक मिली नहीं है। ऐसे में, सरकार इस संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर अधिग्रहण करने की तैयारी में है।

शत्रु संपत्ति किसे कहते हैं?

शत्रु संपत्ति को लेकर हमारे देश में क़ानून बना हुआ है। चीन, पाकिस्तान और अन्य घोषित शत्रु देशों का इस क़ानून में स्पष्ट उल्लेख है। भारत के नागरिक यदि ऐसे देशों के प्रति आस्था प्रकट करें। आरोप सिद्ध हो जाये या भारतीय, इन दोनों देशों में से किसी देश का नागरिक हो जाये तो उसकी संपत्ति शत्रु संपत्ति घोषित करने का कानून है।

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शत्रु संपत्ति कार्यालय (मुंबई) ने 24 फरवरी 2015 को एक प्रमाण पत्र जारी किया था। इस प्रमाण पत्र में नवाब हमीदुल्ला खान की बड़ी पुत्री आबिदा सुल्तान को वारिस के तौर पर मान्यता दी थी। चूँकि आबिदा सुल्तान 1960 से पहले पाकिस्तान की नागरिक बन चुकी थीं।

बाद में मसला कोर्ट पहुंचा था। नवाब की छोटी बेटी साजिदा सुल्तान को नवाब का टाइटल मिल गया था। साजिदा सुल्तान की मृत्यु के बाद उनके पुत्र मंसूर अली खान पटौदी को सारे अधिकर मिले थे। मंसूर अली खान पटौदी के देहांत के बाद सैफ अली खान तमगे और परिसंपत्तियों के मालिक हो गए थे।

भोपाल रियासत की संपत्तियों को लेकर कई तरह के विवाद हैं। अनेक मामले कोर्ट में लंबित हैं। कई मामलों में फ़ैसले आये हैं। मामलों से जुड़ी संपत्तियों को निर्णय के बाद शत्रु संपत्ति घोषित किया जाता रहा है। ऐसे ही कोर्ट में विचाराधीन मामलों को लेकर बीते माह आये कोर्ट के आदेश के बाद 2015 वाली स्थितियाँ पैदा हुई है।

एडवोकेट छाबानी के अनुसार शत्रु संपत्ति कार्यालय ने आबिदा सुल्तान को नवाब का वारिस माना था। वहीं दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने साजिदा सुल्तान को उत्तराधिकारी घोषित किया था। इस विवाद से भोपाल की कई ऐतिहासिक संपत्तियों का भविष्य अधर में लटक गया है। लाखों लोगों के घरों पर भी इसका असर पड़ सकता है।

अन्य जानकार बता रहे हैं, पटौदी परिवार के पास अभी कई ऑप्शन भी बचे हैं, जिसकी वजह से लड़ाई और लंबी खींचेगी। लेकिन भोपाल की संपत्तियाँ अगर सरकार के पास चली जाती हैं तो सैफ अली खान से भोपाल नवाब का टैग छिन जाएगा। उनके पास जब संपत्तियां नहीं रहेगी तो वह भोपाल के नवाब नहीं रहेंगे।

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विलय और अधिनियम

यह पूरा मामला 1949 में भोपाल रियासत के भारत में विलय से जुड़ा है। 1 जून 1949 को भोपाल रियासत का भारत संघ में विलय हो गया था। लेकिन 1947 के भोपाल गद्दी उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत नवाब का टाइटल अभी भी मान्य है। इस अधिनियम में साफ़ लिखा है कि नवाब हमीदुल्ला खान की सबसे बड़ी संतान ही भोपाल की नवाब होगी, चाहे वह बेटा हो या बेटी। मर्जर एग्रीमेंट के आर्टिकल 7 के मुताबिक़, भोपाल रियासत के उत्तराधिकारी को भारत सरकार मान्यता देगी।

इसी आधार पर शत्रु संपत्ति कार्यालय ने नवाब हमीदुल्ला खान की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान को वारिस मानते हुए उन्हें भोपाल की नवाब माना था। इस हिसाब से अब यह टाइटल आबिदा के बेटे और पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव शहरयार खान की सबसे बड़ी संतान को मिलेगा। 24 फरवरी 2015 को शत्रु संपत्ति कार्यालय (मुंबई) ने भी एक सर्टिफिकेट जारी करके आबिदा को ही नवाब का वारिस माना था। चूँकि आबिदा 1960 से पहले ही पाकिस्तान की नागरिक बन गई थीं, इसलिए 1960 तक नवाब की जो भी संपत्तियां थीं, वे शत्रु संपत्ति के दायरे में आ गईं। इन पर अब केंद्र सरकार का हक होगा।

इस ताजा मामले को लेकर सैफ अली खान के वकीलों या उनके परिजनों की ओर से अभी कोई भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है। चूँकि सैफ बीमार हैं, लिहाजा उनसे भी इस मसले पर सवाल नहीं हो सका है।

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संजीव श्रीवास्तव
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