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सागर में हरवंश सिंह की कोठी

एमपीः भाजपा नेताओं और उनके लोगों के घरों से बरामद हो रहा कैश और गोल्ड

मध्य प्रदेश में नेताओं या उनके खास लोगों के घरों से सोना-चांदी, हीरे-मोती और कैश मिल रहा है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अपनी रेड में मध्य प्रदेश के सागर जिले से भाजपा के पूर्व विधायक हरवंश सिंह राठौर, राठौर से जुड़े व्यावसायियों (जुड़ाव बीजेपी से है) के यहां से न केवल बड़ी टैक्स चोरी पकड़ी है, बल्कि कैश, सोना, ज़ेवरात, अवैधानिक लेन-देन और बेनामी सम्पत्ति के दस्तावेज भी बरामद किए हैं।
MP: Cash and gold being recovered from houses of BJP leaders - Satya Hindi
भाजपा नेता और पूर्व विधायक हरवंश सिंह राठौर
इनकम टैक्स ने राठौर के अलावा भाजपा पूर्व पार्षद राजेश केसरवानी और इनके तीन सहयोगियों के यहां भी दबिश दी। बीते दो दिनों से चल रही रेड के बाद टैक्स चोरी और बरामद धन-संपदा का ब्यौरा सामने आया है। पूर्व विधायक हरवंश सिंह राठौर के यहां 14 किलो सोना मिला है। जबकि केसरवानी के ठिकानों से 4.70 किलो सोना बरामद हुआ है। पूर्व विधायक राठौर के यहां मिले सोना में जूलरी व बुलियन भी शामिल है। इस रेड में अब तक 3.80 करोड़ नकद राशि भी इनकम टैक्स टीम को मिली है।
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टीम के हाथों में अब तक जो ब्यौरा लगा है, उसमें 200 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति मिली है। पूर्व पार्षद राजेश केसरवानी के यहां मिले दस्तावेजों में 140 करोड़ लेनदेन का हिसाब आयकर टीम को मिला है। केसरवानी के यहां 7 लग्जरी वाहन भी मिले हैं। सभी वाहन कर्मचारियों और अन्य लोगों के नामों से खरीदे गए हैं। वाहनों का भी वैल्युएशन इनकम टैक्स टीम करवा रही है। इनकम टैक्स सूत्र बता रहे हैं, बड़ी टैक्स चोरी का खुलासा हो रहा है।
भाजपा से पुराना रिश्ताः हरवंश सिंह राठौर के पिता हरनाम सिंह राठौर भाजपा के पुराने नेता थे। साल 2015 में उनका निधन हो गया था। वे सागर जिले की बंडा विधानसभा सीट से विधायक रहे। एमपी में साल 2003 में बनी उमा भारती की अगुआई वाली सरकार में हरनाम सिंह राठौर मंत्री रहे थे।
हरनाम सिंह राठौर के पुत्र हरवंश सिंह राठौर साल 2013 में भाजपा के टिकट पर अपने पिता की पारंपरिक सीट बंडा से विधायक चुने गए थे। साल 2018 में वे कांग्रेस के तरबर सिंह से चुनाव हार गए थे। इसके बाद 2023 में उन्हें टिकट नहीं मिला।
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हरवंश के पिता और पूर्व मंत्री हरनाम सिंह राठौर

जिलाध्यक्ष पद की दावेदारी

मध्य प्रदेश में भी भाजपा के संगठन के चुनाव चल रहे हैं। हरवंश सिंह राठौर भाजपा की सागर जिला इकाई के अध्यक्ष पद की दौड़ के प्रमुख दावेदारों में शुमार किए जा रहे थे। छापे के बाद अब उनकी यह दावेदारी समाप्त मानी जा रही है। मप्र के सीनियर जर्नलिस्ट देवदत्त दुबे ने ‘सत्य हिन्दी’ को बताया बुंदेलखंड में जब भाजपा का कोई नाम लेवा नहीं था, तब हरनाम सिंह राठौर ने सागर क्षेत्र में भाजपा को जमाने का बीड़ा उठाया था।
एक दौर में सागर में पार्टी उनकी कोठी से ही चला करती थी। तन, मन और धन से उन्होंने पार्टी को खड़ा किया। आज यह पूरा क्षेत्र भाजपा के मजबूत गढ़ में शुमार है। हरनाम सिंह के पिता दुलीचंद राठौर बीड़ी के व्यावसायी थे। यह व्यावसाय आज भी राठौर परिवार कर रहा है। वक्त बदलने के साथ इस परिवार का शराब के धंधे, खनन और जमीन-जायदाद में भी बड़ा निवेश होने का दावा सूत्र कर रहे हैं।
उधर भाजपा के पूर्व पार्षद के भी रियल स्टेट से जुड़े बड़े कारोबार हैं। साथ में वे समूचे सागर क्षेत्र के बड़े साहूकार (ब्याज पर पैसा चलाने वाले) भी करार दिए जाते हैं।

एक पखवाड़े में सोना-चांदी और कैश की बारिश

मप्र में बीते एक पखवाड़े में अलग-अलग लोगों के यहां हुई रेड में बड़ी तादाद में सोना-चांदी, जेवरात, नकदी और बड़ी संपत्तियों का खुलासा हुआ है। मप्र लोकायुक्त ने परिवहन विभाग के एक पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा और उसके सहयोगियों के यहां रेड में करोड़ों रूपये नकद सहित बड़ी मात्रा में संपत्ति से जुड़े दस्तावेज बरामद किए हैं।
सौरभ शर्मा के एक सहयोगी की कार से 40 करोड़ रुपये मूल्य का 54 किलो सोना और 10 करोड़ नक़द राशि भी लोकायुक्त छापे का बाद इनकम टैक्स को दबिश में मिले हैं। सौरभ शर्मा के ठिकानों से 250 किलो के लगभग चांदी की सिल्लियां मिली हैं। हीरे-जवाहरात, अन्य जेवरात मिले हैं।
सौरभ शर्मा अभी फरार है। उसकी अग्रिम जमानत की याचिका भोपाल जिला अदालत में लगाई गई थी। मगर जमानत नहीं मिली। सौरभ के पत्नी समेत दुबई में छिपे होने की आशंका है। उसकी तलाश जारी है।

सौरभ की कहानी भी फिल्मी है!

सौरभ शर्मा की कहानी फिल्मी है। स्वास्थ्य महकमे में पदस्थ पिता की मौत के बाद वह हेल्थ डिपार्टमेंट की जगह परिवहन विभाग में सिपाही पद पा गया। देखते ही देखते मप्र की परिवहन चौकियों और नाकों का बादशाह हो गया। पूरा महकमा और मंत्री-अफसरानों के चहते इस सिपाही ने बहुत कम वक्त में अकूत दौलत इकट्ठा कर ली। शिकवे-शिकायत हुए। ऊंगलियां उठीं तो वीआरएस ले लिया। आरोप है कि नौकरी छोड़ने के बाद भी सौरभ परिवहन महकमा ठेकेदार की तरह संभालता  रहा।
चर्चा यह भी रही कि नौकरी छोड़ने के बाद कथित तौर पर वह रियल स्टेट और अन्य कारोबार करने लगा। भोपाल के आलीशान बंगलों में रहने। लकदक कारें उपयोग करने। महंगे शोक और प्रॉपर्टी में बड़े निवेश को लेकर किरकिरी बना रहा। बीते माह छापा पड़ा तो सबकी आंखें फटी रह गईं।

300 करोड़ की संपत्ति 2 हजार बांटें!

सौरभ के यहां रेड की कार्रवाई अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। लोकायुक्त, इनकम टैक्स और ईडी पड़ताल में जुटी हुई है। सूत्रों का दावा है कि इसके पास से 300 करोड़ की संपत्ति का ब्यौरा मिला है। एक डायरी भी मिली है। जिसमें लेनदेन का बड़ा हिसाब है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने डायरी का ब्यौरा जारी करने की मांग जांच एजेसियों से की है। उनका दावा है, इस डायरी में 2 हजार करोड़ के लेन-देन का हिसाब है।
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राजेश शर्मा भी सुर्खियों में

इनकम टैक्स ने खनन और रियल स्टेट कारोबारी राजेश शर्मा के यहां भी बीते दिनों छापा मारा है। उनके यहां भी करोड़ों का कैश, सोना, जेवरात और निवेश के दस्तावेज मिले हैं। यह छापा भी सुर्खियों में है। दरअसल शर्मा के नौकरशाहों से बेहद घनिष्ठ संबंध रहे हैं। उनके यहां रेड में मप्र के पूर्व मुख्य सचिव और शिवराज सिंह चौहान के बेहद करीबी अफसरों में शामिल रहे इकबाल सिंह बैस का नाम उछला है। बैस ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है। किसी तरह का निवेश होने संबंधी आरोपों को भी नकारा है।
दरअसल शर्मा के नौकरशाहों से बेहद घनिष्ठ संबंध रहे हैं। उनके यहां रेड में मप्र के पूर्व मुख्य सचिव और शिवराज सिंह चौहान के बेहद करीबी अफसरों में शामिल रहे इकबाल सिंह बैस का नाम उछला है। बैस ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है। किसी तरह का निवेश होने संबंधी आरोपों को भी नकारा है।
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क़मर वहीद नक़वी
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