मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है। कांग्रेस उम्मीद लगाए बैठी है कि चुनाव में उसे बेहतर सफलता मिलेगी। हालांकि उसकी इस उम्मीद पर कांग्रेस के बागी उम्मीदवार पानी फेर सकते हैं।
ये बागी कई सीटों पर उम्मीदवार बन चुनावी मैदान में हैं। मध्य प्रदेश में बसपा और गोंडवाना पार्टी का गठबंधन भी कई सीटों पर कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकता है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस पिछले कई दिनों से पार्टी के बागियों को मनाने की कोशिश में हैं। टिकट नहीं मिलने से नाराज दर्जनों कांग्रेसी पार्टी से बगावत कर चुके हैं। नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि खत्म होने के बाद पार्टी ने 39 नेताओं को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है।
पार्टी ने भले ही इन 39 नेताओं को निष्कासित कर दिया है लेकिन ये चुप बैठने वालों में से नहीं हैं। इसमें से कई जमीनी नेता हैं जिनका मजबूत जनाधार है। ये कांग्रेस से बगावत कर चुनावी मैदान में पहुंच चुके हैं और अपनी ताकत दिखा रहे हैं।
कई नेता तो कांग्रेस के घोषित प्रत्याशियों से भी ज्यादा मजबूत माने जाते हैं। ऐसे में कांग्रेस के उन उम्मीदवारों की परेशानी बढ़ गई है जिन्हें ये बागी भी टक्कर दे रहे हैं।
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये बागी उम्मीदवार कांग्रेस के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं। इन बागियों के कारण ही मध्य प्रदेश विधानसभा की सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के साथ ही कांग्रेस के ये बागी भी चुनावी मैदान में हैं। इससे कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय होता दिख रहा है। अगर मुकाबला त्रिकोणीय होता है तो इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा।
मध्य प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वालों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में करीब 70 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। हालांकि इससे पहले भी 2018 में करीब 55 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला मध्य प्रदेश में हुआ था। ऐसी ज्यादातर सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी।
इस बार पहले से ज्यादा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की स्थिति कांग्रेस को अंदाजा है कि उसे इससे नुकसान हो सकता है। यही कारण है कि वह हर संभव कोशिश कर रही है कि इन बागियों को कमजोर किया जाये और आक्रमक तरीके से चुनाव प्रचार किया जाये। कांग्रेस की यह भी कोशिश दिख रही है कि उसका सीधा मुकाबला भाजपा से हो।
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और बसपा भी पेश कर रही हैं चुनौती
मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस के लिए मुश्किल समान विचारधारा वाली कई पार्टियां कर रही हैं। इसमें आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और बसपा शामिल हैं। आम आदमी पार्टी जहां आक्रमक तरीके से चुनाव प्रचार में लगी हुई है वहीं अन्य छोटी पार्टियां भी कांग्रेस का वोट काटने की पूरा इंतजाम कर चुकी हैं। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच मध्य प्रदेश में गठबंधन नहीं होने के कारण उत्तर प्रदेश से सटे मध्य प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में सपा कई सीटों पर कांग्रेस को चुनौती देती दिख रही है। इसके कारण कांग्रेस को कुछ सीटों पर नुकसान हो सकता है।
वहीं कांग्रेस को सबसे बड़ा नुकसान गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और बसपा का गठबंधन पहुंचा सकता है। यह गठबंधन आदिवासी और दलित वोटों का एक बड़ा हिस्सा कई सीटों पर काट सकता है। इससे कांग्रेस की परेशानी बढ़ती हुई दिख रही है।
2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर चुनाव लड़ा था और तब उस गठबंधन ने कांग्रेस को 20 सीटों पर नुकसान पहुंचाया था। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि ये छोटी पार्टियां भी कांग्रेस को सत्ता से दूर कर सकती हैं।
अखिलेश यादव लगातार कर रहे कांग्रेस पर हमला
मध्य प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन नहीं होने पर अखिलेश यादव कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं। रविवार को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ और पन्ना जिलों में चुनावी जनसभाओं को संबोधित करते हुए अखिलेश ने कहा था कि पीडीए का कमाल देखिए, अब तो भाजपा की भाषा भी बदल गई है।
उन्होंने कहा कि आज भाजपा भी जातीय जनगणना कराने के लिए तैयार है वहीं कांग्रेस पहले ही पलटी मार चुकी है। अखिलेश ने कहा कि कि 2024 में जब नयी सरकार बनेगी तो सबसे पहला काम होगा जातीय जनगणना कराना।
अखिलेश यादव ने पिछले दिनों बिना नाम लिए हुए दावा किया था कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने हमारे साथ बैठक की थी। इस बैठक में छह सीटों पर बात बनी थी, लेकिन कांग्रेस ने सभी सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी।
इससे नाराज अखिलेश ने कहा था कि गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए अगर हुआ है तो हम भी यूपी में इस बात का ध्यान रखेंगे।
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