मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से सोमवार को क़ौमी एकता की एक बेमिसाल तसवीर सामने आयी। यह वही शहर है, जहां के कुछ लोगों की वजह से बीते बुधवार को इंदौर और मध्य प्रदेश को पूरे देश में शर्मसार होना पड़ा था।
इंदौर के मुसलिम बाहुल्य इलाक़े टाटपट्टी बाखल में कोरोना वायरस के संदिग्धों की जांच करने पहुंचे डाॅक्टर्स और स्वास्थ्य विभाग की टीम पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया था। डाॅक्टर्स और विभाग के अमले में शामिल लोग बड़ी मुश्किल से भागकर अपनी जान बचा पाये थे। दरअसल, मुसलिम समुदाय के कुछ लोगों (इसमें महिलाएं भी शामिल थीं) ने कोरोना संदिग्धों की जांच का विरोध किया था। डॉक्टर्स पर हमले के वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हुए थे।
इंदौर जिला प्रशासन और मध्य प्रदेश सरकार ने इस घटना को बेहद गंभीरता से लिया था और वीडियो की मदद से अभियुक्तों की पहचान की गई थी। घटना में शामिल एक दर्जन अभियुक्त अब तक जेल भेजे जा चुके हैं। जबकि कुछ फरार हैं। चार अभियुक्तों मुहम्मद मुस्तफा (28 वर्ष), इस्माइल खान (32 वर्ष), हाजी अब्दुल गनी (36 वर्ष) और मजीद गफूर (48 वर्ष) पर रासुका लगाई गई है।
लेकिन सरकार के सख्त एक्शन के बाद टाटपट्टी बाखल व इस तरह के अन्य इलाक़ों के लोग डॉक्टर्स को सहयोग कर रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग के अमले द्वारा दिये जा रहे तमाम सलाह-मशविरे को मान भी रहे हैं।
तेजी से सामान्य होते हालात के बीच इंदौर से कौमी एकता की एक बेमिसाल तसवीर सामने आयी तो टाटपट्टी बाखल की घटना से निराश मालवा और मध्य प्रदेश के लोगों के चेहरों पर चमक आ गई। यह तसवीर इंदौर के साउथ तोड़ा जूना गणेश मंदिर क्षेत्र से सामने आयी।
क्षेत्र में रहने वाली दुर्गा मां नामक वृद्ध महिला की सोमवार तड़के मौत हो गई थी। बेहद ग़रीब इस महिला के दो बेटों के सामने मां के अंतिम संस्कार को लेकर संकट खड़ा हो गया। भनक लगते ही पास-पड़ोस के कई मुसलिम युवक आगे आ गये। मुहल्ले में ही रहने वाले अक़ील, असलम मियां, राशिद इब्राहिम और इमरान सिराज समेत कुछ मुसलिम युवकों ने आनन-फानन में दाह संस्कार की सामग्री के लिए चंदा जुटाया और जरूरी सामग्री लेकर आये। मुसलिम युवकों ने दोनों बेटों के साथ दुर्गा मां की अर्थी को कंधा दिया और अंतिम संस्कार कराया। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हो रहा है।
इस मामले में इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार और स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘टाट पट्टी बाखल में हुई घटना से मैं खासा लज्जित और बेचैन हुआ था। आज हिन्दू-मुसलिम के बेफिजूल रवैये से ऊपर उठकर एक ग़रीब महिला के अंतिम संस्कार के लिए मुसलिम युवक आगे आये तो बेहद सुकून मिला।’ खारीवाल ने कहा कि इंदौर और मालवा की धरती एक-दूसरे की मदद, प्यार के लिए जानी जाती है।
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