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क्या मोदी से ‘दो-दो हाथ’ के मूड में हैं शिवराज...!

मध्य प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां तेज हैं। तमाम सरगर्मियों के बीच शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुक्रवार को डिंडोरी जिले में दिए गए भाषण ने चुनाव के साथ भाजपा के राजनीतिक पारे में तापमान को बेहद बढ़ा दिया है। बीजेपी के रणनीतिकार और मध्य प्रदेश की चुनावी बागडोर अपने हाथों में लिए हुए केन्द्रीय गृह मंत्री एवं बीजेपी के टॉप लीडर अमित शाह संकेत दे चुके हैं कि इस बार शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री नहीं होंगे।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सामूहिक नेतृत्व के साथ रण में जाने की बात शाह और अन्य प्रमुख नेताओं ने कही है। शाह के संकेतों के बाद भी शिवराज सिंह पूरी मुस्तैदी से पार्टी की वापसी के लिए राज्य में किला लड़ा रहे थे। बीती 25 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा कार्यकर्ताओं के महाकुंभ में भोपाल आये तो मंच से न तो उन्होंने शिवराज सिंह चौहान का नाम लिया और ना ही उनके कामकाज एवं योजनाओं का उल्लेख किया।
राज्य में भाजपा की वापसी के लिए प्रयासरत शिवराज सिंह, लाड़ली बहना योजना लेकर आये। इस योजनाओं के अंतर्गत सवा करोड़ से अधिक बहनों को नकद राशि का वितरण शिवराज सरकार कर रही है। स्वयं शिवराज और उनके समर्थक एवं मध्य प्रदेश भाजपा भी इस योजना को गेमचैंजर मानकर चल रही है। प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के जलसे में इस योजना का भी जिक्र नहीं किया।
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बात यहीं तक सीमित नहीं रही। भोपाल में बीजेपी के कार्यकर्ता महाकुंभ वाले दिन 25 सितंबर की शाम केन्द्र ने मध्य प्रदेश विधानसभा उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी करके भी शिवराज सिंह को तगड़ा झटका दिया।वदूसरी सूची में भाजपा ने तीन केन्द्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते सहित कुल 7 सांसदों को टिकिट दिया। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर 1 से उम्मीदवार घोषित करके शिवराज सिंह सहित समूची बीजेपी को चौंकाया।

शिवराज बीते सप्ताह से मुखर हैं। जनआशीर्वाद यात्रा और भाजपा के जलसों में सतत वे अपने ‘इरादों’ का इज़हार कर रहे हैं।


शिवराज ने दिए हैं ये चार महत्वपूर्ण बयान

1. ‘मैं पद का लोभी नहीं हूं।’
2. ‘जब मैं चला जाऊंगा तो बहनों को बहुत याद आऊंगा।’
3. ‘मुझे चुनाव लड़ना चाहिए या नहीं, लड़ना चाहिए तो सीहोर (सीहोर जिले की बुदनी से वे विधायक हैं) से अथवा अन्य क्षेत्र से?’
4. ‘मैं दुबला-पतला जरूर हूं, लेकिन कमजोर नहीं हूं।’
शिवराज सिंह के ये चार बयान सुर्खियों में रहे। इनके निहितार्थ निकाले जाते रहे हैं।
शिवराज सिंह ने शुक्रवार को डिंडोरी जिले की एक सभा में वोटरों से पूछा, ‘दिल से ईमानदारी से बताना, मैं कैसी सरकार चला रहा हूं? अच्छी सरकार चला रहा हूं या बुरी सरकार चला रहा हूं?’ शिवराज सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी (मोदी मंच पर थे) में भी इसी सप्ताह मध्य प्रदेश में वोटरों से पूछा था, ‘वे कैसी सरकार चल रहे हैं, अच्छी या बुरी?’ डिंडोरी में शिवराज सिंह अपने इस पुराने बयान से काफी आगे बढ़ गए।
डिंडोरी में शिवराज सिंह के सवाल पर जनता एक सुर में जवाब रहा, ‘अच्छी सरकार चला रहे हैं।’ इसके बाद शिवराज अगला सवाल किया, ‘ये सरकार आगे चलना चाहिए की नहीं? मामा को मुख्यमंत्री बनना चाहिए कि नहीं?’ इन सवालों पर जनता का जवाब आया, ‘सरकार आगे भी चलना चाहिए और मुख्यमंत्री मामा को बनना चाहिए।’
जवाब के बाद शिवराज सिंह चौहान का जनता से अगला सवाल बेहद विस्फोटक’ रहा, उन्होंने आगे पूछा, ‘मोदी जी को फिर से प्रधानमंत्री बनना चाहिए कि नहीं? भाजपा की सरकार फिर से आना चाहिए कि नहीं?’ जनता का जवाब आने के बीच शिवराज सिंह कहते हैं, ‘...तो आओ मेरे भाइयों-बहनों, हम संकल्प करें जो हमारा साथ देगा, हम उसका साथ देंगे। जो हमारे साथ, हम उसके साथ।’
2024 के लिए मोदी का चेहरा पीएम के लिए तय है। लोकसभा के चुनाव अभी सात महीने के लगभग का समय शेष है। एनडीए की और से पीएम पद का चेहरा नरेंद्र मोदी होंगे, यह बात तय है।
उधर पीएम मोदी तो अभी से तीसरी बार देश की बागडोर उन्हें सौंपने का आशीर्वाद विधानसभा चुनावों के लिए चल रही जमावट, जुलूस-जलसों एवं सभाओं में जनता से  मांग रहे हैं। स्वघोषणा के बाद, मोदी को तीसरी बार पीएम चेहरा न बनाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से कोई आवाज नहीं उठी है। 
पीएम पद के चेहरे अथवा मोदी के नेतृत्व का लेकर पार्टी और आरएसएस की ओर से कोई सवाल न होने के बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का वोटरों से यह पूछा जाना, ‘मोदी को फिर से देश का प्रधानमंत्री होना चाहिए अथवा नहीं?’ अनेक सवाल पैदा कर रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम एक वक्त में प्रधानमंत्री पद के लिए लिया गया है। किसी और ने नहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लिया था।
लोकसभा चुनाव 2014 के पहले ग्वालियर में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री पद के लिए पार्टी के चेहरे का जिक्र आने और गुजरात मॉडल की चर्चा पर आडवाणी ने कहा था, ‘गुजरात तो बेहतर राज्यों में शुमार रहा है, उसकी कायापलट से कहीं ज्यादा उल्लेखनीय कार्य मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने किया है। बीमारू राज्य को विकसित राज्यों की पात में वे लाये हैं।’ चुनावी राजनीतिक सफर में शिवराज सिंह, मोदी से काफी सीनियर हैं। वे 1990 में पहली बार बुधनी से विधायक बने। विदिशा लोकसभा सीट से चार बार सांसद रहे हैं। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। वे 2005 में भाजपा विधायक दल के नेता चुने गए तब से चार बार मुख्यमंत्री हो गए हैं।
शिवराज सिंह भाजपा के एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिनका कार्यकाल सबसे लंबा है। मोदी को पुनः पीएम बनाया जाना चाहिए अथवा नहीं? शिवराज सिंह चौहान द्वारा जाने-अनाजने में उठाये गए सवाल के राजनीतिक एवं मीडिया हलकों में तमाम अर्थ निकाले जा रहे हैं। माना यह भी जा रहा है, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आने वाले शिवराज सिंह मोदी को खुली चुनौती देने के मूड में आ गए हैं।
यह माना जा रहा है, जिस ढंग से सार्वजनिक मंच से उन्हें साइड लाइन किया गया है! हाशिए पर पटक दिया गया है! वह सब शिवराज सिंह को गवारा नहीं हो रहा है। अपमानित होकर मैदान नहीं छोड़ने का मन शिवराज सिंह ने बना लिया है। अपनी मंशा और अंतर्मन की आवाज़ को लेकर उन्होंने ताल ठोक दी है। यह भी माना जा रहा है, शिवराज सिंह के पीछे पार्टी के ऐसे नेता-ताकतें अवश्य हैं, जो माकूल वक्त आने पर सामने आयें। 
कहा जा रहा है, ‘अनजाने में भी शिवराज मोदी से अकेले टकराव मोल लें, संभव नहीं है। कोई न कोई तो उनके पीछे जरूर है।’ प्रेक्षकों का अभिमत है, शिवराज सिंह चौहान खेल बिगाड़ने के हालात में तो हैं। सूबे में 51 प्रतिशत से ज्यादा अन्य पिछड़ा वर्ग हैं। शिवराज सिंह ने अपने 4 कार्यकालों में मध्य प्रदेश के वोटरों से शानदार तालमेल बैठाया है। भले ही उनकी सरकार के खिलाफ एंटी-इन्क्मबेंसी चरम पर बताई जा रही है, लेकिन स्वयं शिवराज सिंह का जादू, महिला वोटरों के सिर चढ़कर बोलने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा रहा है।
भाई के साथ मामा की उनकी छवि भी राज्य के युवाओं में पूरी तरह से धूमिल नहीं हुई है। भांजे-भांजियों में मामा शिवराज सिंह की लोकप्रियता बरकरार है। शिवराज सिंह के बयान को लेकर मध्य प्रदेश भाजपा का कोई नेता ऑनरिकार्ड बोलने को तैयार नहीं है। इस मसले पर ‘सत्य हिन्दी’ ने कई नेताओं से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की, लेकिन नेताओं ने इस विषय पर बात करने से इनकार कर दिया।

बुझने के पहले दिये भभक रहे हैं: कांग्रेस

मोदी को पुनः पीएम बनाये जाने को लेकर वोटरों से शिवराज सिंह द्वारा किए गए सवाल पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया सेल के मुखिया के.के. मिश्रा कह रहे हैं, ‘मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा का खेल खत्म के करीब है। अगले कुछ महीनों में भाजपा की सरकार मध्य प्रदेश में इतिहास हो जायेगी। केन्द्र से मोदी और एनडीए की सरकार भी जा रही है। लोकसभा के 2024 के चुनावों में इनकी (मोदी-बीजेपी की) विदाई सुनिश्चित है।’
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वे चुटकी लेते हुए कह रहे हैं, ‘बूझने के पहले दिये भभकते हैं। भभक रहे हैं।’ मिश्रा आखिर में यह भी जोड़ते हैं, ‘भाजपा में लोकतंत्र नहीं बचा है, तानाशाही चल रही है। यह सब भाजपा का अंदरूनी मामला-मसला है, लेकिन इतना जरूर कहूंगा शिवराज सिंह ने मोदी को चुनौती पेश करने की हिम्मत तो दिखाई। भाजपा के सारे बड़े नेताओं की चुप्पी के बीच मोदी को चुनौती पेश करने संबंधी शिवराज का दुस्साहस तारीफ-ए-काबिल है।’
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क़मर वहीद नक़वी
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