कोरोना टीकाकरण अभियान में मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर घोटाले की ख़बरें सामने आई हैं। मध्य प्रदेश वह जगह है जहां टीकाकरण अभियान के पहले ही दिन रिकॉर्ड टीकाकरण होने का दावा किया गया था, पर अब उन तमाम दावों की पोल खुलती नज़र आ रही है।
भोपाल से प्रकाशित 'दैनिक भास्कर' की ख़बरों पर भरोसा किया जाए तो एक ही आधार नंबर पर कई लोगों को टीका दे दिया गया है, एक आदमी को कई बार टीका देने का रिकॉर्ड दर्ज है, एक आदमी को पोर्टल पर कई बार रजिस्टर कर दिया गया है।
अनियमितताएँ
इस तरह की कई अनियमितताएं सामने आई हैं। इससे ऐसा लगता है कि अधिक लोगों को कोरोना टीका दिया हुआ दिखाने की कोशिश की गई है और इस चक्कर में ही इस तरह की गड़बड़ियाँ हुई हैं।
अधिक से अधिक लोगों का वैक्सीनेशन दिखाने की कोशिश का आलम यह है कि 555 आधार नंबर पर दो-दो, 90 आधार कार्डों पर तीन-तीन लोगों को कोरोना टीका दे दिया गया है।
हद तो तब हो गई जब एक आधार नंबर पर 16 लोगों को टीका दिया गया है। यह भी पाया गया है कि 661 आधार नंबरों पर 1459 लोगों को टीका दिया गया है।
भोपाल गए नहीं, टीका लग गया!
भोपाल में ऐसे लोगों को भी टीका दिया हुआ दिखाया गया है जो वहाँ गए ही नहीं थे।
'दैनिक भास्कर' ने 10 हज़ार लोगों के वैक्सीनेशन रिकार्ड का अध्ययन करने के बाद यह दावा किया है।
अख़बार ने कई केस स्टडी भी किए हैं और उदाहरण पेश किए हैं। उसका कहना है कि आधार नंबर ********9999 पर सुलेमान नामक व्यक्ति को टीका लगाए जाने की जानकारी दर्ज है। लेकिन सुलेमान के नाम जो मोबाइल नंबर ( 982####890 ) दर्ज दिया गया है, वह सतना के राज चांदवानी का है। राज चांदवानी का कहना है कि वे तो पिछले छह साल से भोपाल गए ही नहीं है, फिर उन्हें टीका कैसे दे दिया गया।
एक दूसरे मामले में ********9999 नंबर पर प्रियंका को कोरोना टीका दिया हुआ दिखाया गया है, पर वह महाराष्ट्र के पुणे में रहती हैं। इसी नंबर पर रामदयाल को भी टीका लगाने की बात कही गई है, पर वह तो झारखंड में रहते हैं।
ग़लत रजिस्ट्रेशन!
'दैनिक भास्कर' का कहना है कि वैक्सीनेशन डेटा रिपोर्ट के अनुसार बैरसिया, बैरागढ़, कोलार क्षेत्र और सिटी सर्कल के कई वैक्सीनेशन सेंटर्स के रिकॉर्ड में हितग्राहियों के रजिस्टर्ड आधार नंबर सीरीज के रूप में दर्ज हैं।सीरियल नंबर 3301 से 3399 के बीच 50 लोगों को टीका दिया हुआ दिखाया गया है। इनके जो मोबाइल नंबर दर्ज किए गए हैं, उनमें से कुछ तो तमिलनाडु, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के हैं।
इस तरह की छोटी-मोटी ढेर सारी गड़बड़ियाँ देखी गई हैं। वैक्सीनेशन रिकॉर्ड में दर्ज जानकारी के अनुसार, मोबाइल नंबर 6262###828 पर भरतराम और पारो बाई को टीका दिया गया है, पर यह मोबाइल नंबर बिलासपुर के हर्ष नागदेव का है। लेकिन वे तो कभी भोपाल आए ही नहीं।
एक दूसरे मामले में चार अलग-अलग मोबाइल नंबर से चार लोगों का रजिस्ट्रेशन किया गया, पर टीका लगाने के लिए सभी का आधार नंबर ### #### 0774 दर्ज किया गया।
ग़लत मोबाइल नंबर!
भोपाल के अरुण कोचेटा के नाम जो मोबाइल नंबर #### #### 9999 हैं। लेकिन कोचेटा का कहना है कि उनके मोबाइल नंबर की अंतिम चार संख्या 5382 है।
एक तो अरुण का नाम सर्टिफिकेट में वरुण लिख दिया, दूसरे पोर्टल में उनके नाम दो बार रजिस्ट्रेशन हो गया और दोनों के नंबर भी अलग-अलग हैं।
सरकारी आँकड़ों के आधार पर आधार नंबर #### #### 0#44 पर बैरसिया में संदीप नामदेव, रेखा और रेखा अहिरवार को टीका दिया हुआ दिखाया गया है। संदीप नामदेव का कहना है कि वे रेखा या रेखा अहिरवार को नहीं जानते। रेखा अहिरवरा का मोबाइल नंबर 96####8147 दर्ज है, लेकिन यह मोबाइल नंबर तो तमिलनाडु के नागराज का है।
एमपी गज़ब है!
कोविन वेबसाइट के अनुसार 21 जून को मध्य प्रदेश में रिकॉर्ड 17 लाख 44 हज़ार टीके लगाए गए। लेकिन आप यह जानकर हैरान रह जाएँगे कि इसी राज्य में एक दिन पहले यानी 20 जून को सिर्फ़ 692 टीके लगाए गए थे और एक दिन बाद 22 जून को सिर्फ़ 4 हज़ार 842 टीके ही लगाए जा सके।
ऐसा क्यों? 19 जून को भी सिर्फ़ 22 हज़ार 6 टीके, 18 जून को 14862, 17 जून को 1 लाख 24 हज़ार, 16 जून को 3 लाख 38 हज़ार, 15 जून को 39 हज़ार टीके लगाए गए थे।
बता दें कि पिछले दिनों वैक्सीन नीति को लेकर सरकार की जबरदस्त आलोचना होती रही थी। दिल्ली के हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक ने इसके लिए केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की थी।
सबसे ज़्यादा आलोचना वैक्सीन खरीद और वितरण का ज़िम्मा राज्यों को देने को लेकर थी। चौतरफ़ा आलोचनाओं के बीच सरकार ने हाल ही में वैक्सीन नीति में बदलाव की घोषणा की है।
इस नई नीति के अनुसार केंद्र ने 21 जून से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को मुफ्त में टीके उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है और लगभग एक महीने पहले लागू किए गए नीतिगत फ़ैसले को उलटते हुए राज्यों से टीकाकरण का नियंत्रण वापस अपने हाथ में ले लिया है।
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