मध्य प्रदेश की कुल 29 सीटों पर चार चरणों में वोट डाले जायेंगे। राज्य में चुनाव का पहला चरण 19 अप्रैल, दूसरा 26 अप्रैल, तीसरा 7 मई और चौथे फेज की वोटिंग 13 मई को होगी। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी चार चरणों में वोटिंग हुई थी।
चार चरणों में सीट वार चुनाव का दृश्य ऐसा होगाः
- 19 अप्रैल को इन सीटों वोटिंग:- सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा।
- 26 अप्रैल को इन सीटों वोटिंग:- टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा, होशंगाबाद और बैतूल।
- 07 मई को इन सीटों वोटिंग:- भिंड, मुरैना, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल और राजगढ़।
- 13 मई को इन सीटों वोटिंग:- देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगोन और खंडवा।
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2019 के लोकसभा चुनाव में 4 चरणों में चुनाव हुआ था। तब भी यह सवाल उठाया गया था कि चार चरण आखिर क्यों? माकूल जवाब नहीं आया था! बता दें, राज्य में इस बार सत्तारूढ़ दल बीजेपी ने सभी 29 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है, उधर प्रतिपक्ष कांग्रेस ने 2019 की पुनरावृत्ति न होने देने के लिए कमर कसी हुई है। उधर प्रतिपक्ष कांग्रेस ने 2019 की पुनरावृत्ति न होने देने और इस बार बीजेपी को उसके लक्ष्य को भेदने में सफल न होने देने के लिए कमर कसी हुई है।
साल 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि, कांग्रेस एक मात्र छिंदवाड़ा सीट पर विजय हासिल कर सकी थी। इस चुनाव में बीजेपी को 58 प्रतिशत, कांग्रेस को 34.50 प्रतिशत और बसपा को 2.38 फीसदी वोट मिले थे। इस बार चुनावी तारीखों के ऐलान से बीजेपी अपने सभी 29 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर चुकी है। जबकि, कांग्रेस ने अभी तक 10 प्रत्याशी घोषित कर चुकी है।
मध्यप्रदेश में इस बार 5 करोड़ 63 लाख 40 हजार 64 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इससे पहले 2023 के विधानसभा चुनाव में 5 करोड़ 60 लाख मतदाता थेश् लेकिन 4 महीने में 3 लाख वोटर्स बढ़ चुके हैं। कुल वोटर्स में पुरुषों की संख्या 2 करोड़ 89 लाख 51 हजार 705 है. जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 73 122 है।
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इन बड़े चेहरों पर नजर
मध्य प्रदेश में भाजपा ने जिन 29 प्रत्याशियों के नामों का एलान किया है उनमें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बेहद अहम नाम हैं। चौहान को पार्टी ने उनकी ही पारंपरिक सीट विदिशा से टिकिट दिया है। चौहान इस सीट से 5 बार लोकसभा में जा चुके हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुना-शिवपुरी सीट से टिकट दिया गया है। सिंधिया ने 2019 का चुनाव इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर लड़ा था। साल 2019 में वे चुनाव हार गए थे। उनके अपने सहयोगी रहे डॉ.के.पी.सिंह यादव ने दलबदल कर भाजपा के टिकिट पर चुनाव लड़ते हुए सिंधिया को चुनाव हराया था। गुना से सिंधिया भाजपा के प्रत्याशी हैं, लेकिन कांग्रेस ने अभी अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।
छिंदवाड़ा भी सुर्खियों में
मप्र की हॉट सीटों में छिंदवाड़ा भी शुमार है। छिंदवाड़ा से कांग्रेस ने अपने एकमात्र सांसद नकुल नाथ को पुनः प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने यहां से विवेक बंटी साहू को प्रत्याशी बनाया है। विवेक को भाजपा ने दो विधानसभा चुनाव लड़ाये हैं। साल 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद हुए उपचुनाव में उन्हें कमल नाथ के खिलाफ उतारा गया था। वे चुनाव हार गए थे। साल 2023 के विधानसभा चुनाव में पुनः भाजपा ने छिंदवाड़ा सीट पर विवेक पर दांव खेला, लेकिन कमल नाथ इस सीट को पुनः जीतने में कामयाब रहे। लगातार दो विधानसभा चुनाव हारने के बाद बीजेपी ने विवेक बंटी साहू को नकुल के सामने उतारा है। भाजपा इस सीट को टारगेट किए हुए है। इस बार बीजेपी मप्र में मुकाबला 29-0 पर फिनिश करना चाहती है।
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आधा दर्जन सीटों पर कांग्रेस के लिए चांस
मप्र की कुल 29 सीटों में ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की कुल 4 सीटों में मुरैना और ग्वालियर में कांग्रेस के लिए चांस बेहद बेहतर माने जा रहे हैं। यहां भाजपा के उम्मीदवारों को कमजोर करार दिया गया है। गुना-शिवपुरी सीट को भी कांग्रेस टारगेट करने के मूड में है। हालांकि कांग्रेस ने गुना के लिए अपना उम्मीदवार अभी घोषित नहीं किया है। यहां यादव वोटरों का रूख और सिंधिया के खिलाफ नाराजगी को भुनाने की जुगत में कांग्रेस है। केपी सिंह यादव का टिकिट कटने से यादव वोट बैंक खफा है, इस तरह की सुगबुगाहट है।कांग्रेस की 10 उम्मीदवारों की पहली सूची को बेहतर माना गया है। राज्य की कुल 29 में एक खजुराहो सीट कांग्रेस ने सपा के लिए छोड़ी है। कांग्रेस के बचे हुए 18 प्रत्याशियों की सूची घोषित होने के बाद चुनावी तस्वीर पूरी तरह से साफ होगी। यह स्पष्ट होगा, मुकाबला कैसा होने वाला है?
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