प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बार-बार ताल ठोककर कहते हैं, भारत बहुत शीघ्र विश्व की तीसरी ताक़त बन जायेगा। वे डबल इंजन सरकारों का जिक्र भी निरंतर करते हैं। डबल इंजन यानी केन्द्र की तरह राज्यों में भी भाजपा या एनडीए के दल वाली सरकार, लेकिन इन सरकारों के आर्थिक हालात बद से बदतर होते चल जा रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार भी इस क्रम में बड़ा उदाहरण है। साल भर का औसत निकाला जाये तो ‘मप्र के खटारा आर्थिक इंजन’ को घसीटने के लिए 5 हजार करोड़ महीने का ‘ईंधन’ लग रहा (कर्ज लेना पड़ रहा) है।
मध्य प्रदेश में साल 2023 में विधानसभा के चुनाव हुए थे। भाजपा पुनः सत्ता में आयी थी। मोहन यादव मुख्यमंत्री बनाये गये थे। यादव ने 13 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभाली थी। बीते 1 साल 15 दिन के कार्यकाल में ऐसा कोई महीना नहीं गया है, जब सरकार को कर्ज न लेना पड़ा हो।
बता दें कि मध्य प्रदेश में बीजेपी 2023 में सत्ता में आयी थी। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ की अगुवाई में कांग्रेस ने साझा सरकार बनाई थी। नाथ सरकार महज 15 महीने चल पायी थी। बीते कुल 21 सालों में 15 महीनों को छोड़कर मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में अधिकतम 17 साल शिवराज सिंह मुख्यमंत्री रहे।
साल 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद मोहन यादव को बागडोर मिली। उनके सत्ता संभालने के बाद मध्य प्रदेश की सरकार 26 दिसंबर को 12वीं बार फिर 5 हजार करोड़ का कर्ज उठाने जा रही है। इस नये कर्ज के बाद बीते साल भर में मोहन यादव द्वारा उठाये गये कर्ज का आंकड़ा 52.50 हजार करोड़ को छू जायेगा। कर्ज को लेकर मध्य प्रदेश जैसे ही हालात भाजपा शासित और गैर भाजपा शासित राज्यों में बने हुए हैं।
लाड़ली बहना योजना का साल का व्यय जोड़ा जाये तो 19 हजार 650 करोड़ रुपये बैठ रहा है। इस योजना के अलावा किसानों को हर साल शिवराज सरकार ने मोदी सरकार के बराबर राशि देने का ऐलान किया हुआ है। अनेक ऐसी मुफ्त की योजनाएँ हैं, जिन्हें सुचारू बनाये रखने के लिए निरंतर कर्ज लेना पड़ रहा है।
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बिजनेस स्टैंडर्ड के मध्य प्रदेश के स्पेशल कॉरस्पॉडेंस और आर्थिक मामलों के जानकार शशिकांत त्रिवेदी ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘कर्ज बहुत वक़्त तक नहीं मिल सकेगा। मध्य प्रदेश सरकार के पास आर्थिक मजबूती के लिए बहुत ज्यादा विकल्प नहीं है। जीएसटी के बाद स्वयं कोई टैक्स लगाने की स्थिति में वो नहीं है। जिन मदों में सरकार अपने स्तर पर टैक्स जुटा सकती है, वो पूरी ताकत के बाद भी लक्ष्य के करीब नहीं पहुंच पा रहा है।’
त्रिवेदी यह भी जोड़ते हैं, ‘मोदी सरकार तमाम दावे करे। केन्द्र के हाल भी बेहाल है। केन्द्र की सरकार पर भारी-भरकम कर्ज है। जिस सरकार को पुरानी कार की बिक्री पर जीएसटी लगाना पड़े। हानि होने पर भी जीएसटी वसूलने की नौबत हो। उसके हाल, सरकार की बदहाली की तस्वीर स्वयं पेश करते हैं।’
एमपी पर सवा चार लाख करोड़ का कर्ज
वर्तमान में कर्ज की मध्य प्रदेश से जुड़ी जो तस्वीर है, उसके अनुसार प्रदेश सरकार पर 31 मार्च 2025 को 4.21 लाख करोड़ का कर्ज हो जाने वाला है।
सरकार के खजाने से जुड़े सूत्र ऑफ द रिकार्ड कहते हैं, ‘फ्रीबीज, टैक्स चोरी और लक्ष्य के अनुरूप राज्य की महत्वपूर्ण मदों में कर का कलेक्शन नहीं होना, हालात बिगड़ते चले जाने की बड़ी वजह है। बेतहाशा कर्ज पर ब्याज की अदायगी भी बढ़ते जाना भी आर्थिक व्यवस्था धराशायी होने की तरफ बढ़ रही है।’
साल 2024-25 का मध्य प्रदेश सरकार का बजट 3 लाख 65 हजार करोड़ रुपयों का था। राजकोषीय घाटा 62 हजार 564 करोड़ संभावित था।
सीधे देखें तो बजट 3.65 लाख करोड़ की तुलना में कर्ज की सीमा सवा चार लाख करोड़ छूने को लेकर आर्थिक मामलों के जानकारों की चिंता यूं ही नहीं है।
कई काम हैं बंद, भुगतानों पर रोक
मध्य प्रदेश के खजाने के जो हाल हैं, उसके चले वित्त महकमे को आये दिन ‘इधर की टोपी उधर’ करना पड़ रही है। कई महकमों के बजट को डायवर्ट करने के प्रमाण सामने आये हैं। बहुत से विकास के कार्यों को सरकार को टालना अथवा रोकना पड़ा है।
मध्य प्रदेश के वित्त विभाग ने बीते कुछ महीनों में कई आदेश निकाले हैं। इन आदेशों में भुगतानों पर रोक अथवा भुगतान उसकी अनुमति के बिना नहीं करना शामिल रहा है।
वित्त मंत्री यह दावा करते हैं
मध्य प्रदेश के खजाने के खस्ता हाल और बेतहाशा कर्ज लेने की और ध्यान दिलाये जाने पर मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एवं वित्त विभाग के मुखिया जगदीश देवड़ा फरमाते हैं, ‘सबकुछ नियंत्रण में है। हमारी क्षमता है, इसलिए कर्ज मिल रहा है। नियंत्रण में नहीं होता तो कर्ज नहीं मिलता।’
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