मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं सत्तारूढ़ भाजपा में आंतरिक तकरार तेजी से बढ़ रही है। भाजपा में अकेले 'शो मैन' मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बने हुए हैं, बाक़ी सबके सब तमाशाई हैं। भोपाल में भाजपा के पूर्व विधायक गिरजाशंकर शर्मा कांग्रेस में शामिल हुए तो ग्वालियर में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने उनके समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट और पूर्व मंत्री इमरती देवी की भाजपा के ही नेताओं ने खुलेआम फजीहत कर दी। बेचारे सिंधिया अपमान का घूँट पीकर रह गए।
क्या ‘टाइगर’ सिंधिया को लाकर बीजेपी ने गलती की?
- मध्य प्रदेश
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- 11 Sep, 2023

मध्यप्रदेश में आख़िर बीजेपी में सबकुछ ठीक क्यों नहीं चल रहा है? आख़िर पूर्व कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने से फायदा हुआ या नुक़सान?
बीजेपी से कांग्रेस में पलायन तेज से हो रहा है किन्तु मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की सेहत पर इसका कोई फर्क पड़ता नहीं दिखाई दे रहा। उन्हें पता है कि इस मर्तबा पतवार केंद्रीय मंत्री अमित शाह के हाथ में है। वे जगह-जगह अपनी महत्वाकांक्षी 'लाड़ली बहना योजना' के जरिये सूबे में 'फूलों का तारों का सबका कहना है, लाखों हजारों में मेरी बहना है' गाते फिर रहे हैं। उनके लिए सरकार की ओर से सजाये जा रहे मंचों पर 'मेरे भइया, मेरे चन्दा, मेरे अनमोल रतन, तेरे बदले मैं जमाने की कोई चीज न लूँ' जैसे फ़िल्मी गाने गूँज रहे हैं। ग्वालियर में ऐसे ही एक जलसे में कांग्रेस के पूर्व टाइगर ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों की भाजपा के असली नेताओं ने जमकर मकड़ी झड़ा दी। पहले प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट का वेदप्रकाश शर्मा और दूसरे भाजपा नेताओं ने अपमान किया, उनके साथ झूमाझटकी की लेकिन वे शांत रहे लेकिन मंच पर अपने लिए कुर्सी न देखकर पूर्व मंत्री इमरती देवी से नहीं रहा गया। वे सीधे सिंधिया के पास अपनी शिकायत लेकर जा धमकीं और मंच से उतरकर जाने लगीं। तब सिंधिया ने खुद उनका हाथ पकड़कर उन्हें रोका और जाकर एक भाजपा नेता से उनके लिए कुर्सी खाली कराई। सारा नजारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सामने हुआ किन्तु वे स्थितिप्रज्ञ बने बैठे रहे। भाजपा के स्थानीय नेताओं ने इसे मुख्यमंत्री का मौन समर्थन समझा और सिंधिया समर्थकों की बेइज्जती करते रहे। मुख्यमंत्री ने सारे घटनाक्रम की ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया। सिंधिया की असहजता भी सबके सामने उजागर हुई। एक चश्मदीद के नाते मैंने सिंधिया और उनके समर्थकों के साथ भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं के आक्रोश को रेखांकित करने की कोशिश की है। सिंधिया लगता है जैसे-तैसे भाजपा में अपनी लाज बचने में लगे हुए हैं। वे अपने समर्थकों के सम्मान की रक्षा करने में अपने आपको असमर्थ महसूस करने लगे हैं।