ऐसा क्यों है कि महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को महिमामंडित करने का कोई भी मौक़ा दक्षिणपंथी हिन्दुत्ववादी नहीं छोड़ते? क्या कारण है कि इन बयानों की निंदा तो होती है, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है? ऐसा क्या है कि खुद बीजेपी में भी ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं है? अब गोडसे के समर्थकों के हौसले इतने बढ़ गये हैं कि उन्होंने रविवार को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में गांधी के हत्यारे के नाम एक पुस्तकालय का उद्घाटन किया गया।
गोडसे ज्ञान शाला
हिन्दू महासभा के दौलत गंज स्थित कार्यालय में विश्व हिन्दी दिवस के मौके पर गोडसे ज्ञान शाला में गोडसे से जुड़ी सामग्री रखी हुई हैं। इसमें वे किताबें भी हैं जिनमें बताया गया है कि गोडसे ने किस तरह राष्ट्रपिता के हत्या की साजिश रची, योजना बनाई और उसे अंजाम दिया था। इसमें गोडसे के भाषणों की कॉपी और उसके लिखे लेख भी रखे हुए हैं। हिन्दू महासभा के उपाध्यक्ष जयवीर भारद्वाज ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा,
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"इस पुस्तकालय का उद्घाटन दुनिया को यह बताने के लिए किया गया कि गोडसे सच्चे राष्ट्रवादी थे। वे अविभाजित भारत के पक्ष में खड़े हुए और मारे गए। आज के अनजान युवकों को गोडसे के राष्ट्रवाद के बारे में बताना इसका मक़सद है।"
जयवीर भारद्वाज, उपाध्यक्ष, हिन्दू महासभा
क्या कहना है महासभा का?
भारद्वाज ने इसके साथ यह भी कहा कि "जवाहर लाल नेहरू और मुहम्मद अली जिन्ना की महात्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए देश का बँटवारा हुआ था। वे दोनों ही अलग-अलग देश का शासन करना चाहते थे।"
हिन्दू महासभा ने गोडसे पर आधारित पुस्तकालय के लिए ग्वालियर को चुना क्योंकि यही वह जगह है जहाँ उसने हत्या की साजिश रची और पिस्तौल खरीदी थी।
इसके पहले हिन्दू महासभा ने अपने ग्वालिय कार्यालय में गोडसे का एक मंदिर बनवाया था, लेकिन कांग्रेस के ज़बरदस्त विरोध के बाद उसे हटा दिया गया।
लेकिन इससे अधिक चिंता की बात यह है कि निर्वाचित विधायक भी गांधी के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने के काम में जुटे हुए हैं। मध्य प्रदेश विघानसभा के प्रो-टेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने कहा, "महात्मा गांधी की ग़लती से ही जिन्ना देश को दो टुकड़ों में बँटवारा करवा सका।"
गोडसे के पक्ष में संघ परिवार
इसके पहले इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं, जब राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ परिवार से जुड़े लोगों ने गांधी के हत्यारे को उचित ठहराने की कोशिश की और उसके समर्थन में बयान दिए।
पिछले साल हिन्दू महासभा ने 15 नवंबर को 'गोडसे बलिदान दिवस' के तौर पर मनाया था। गोडसे को 15 नवंबर के दिन फाँसी पर लटकाया गया था।
गोडसे की आरती उतारी
15 नवंबर को हुए आयोजन के बाद भी विवाद पैदा हुआ था। आयोजकों ने तब गोडसे की प्रतिमा की आरती उतारी थी। आयोजन के बाद हिंदू महासभा ने प्रशासन को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा था। इसमें महासभा ने मुख्यमंत्री से नाथूराम गोडसे के अंतिम बयान को स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल करने की माँग भी की थी।
आज़ाद हिन्द फ़ौज़ के संस्थापक सुभाष चंद्र बोस की प्रपौत्री राज्यश्री ने ग्वालियर में महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की तसवीर की न केवल आरती उतारी, बल्कि गाँधी जी की मौत के लिए देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया था।
नलिन कतील को ‘ईनाम’
कर्नाटक बीजेपी के नेता नलिन कुमार कतील ने मई, 2019 में ट्वीट कर गोडसे का खुलकर पक्ष लेते हुए कहा था, 'गोडसे ने एक को मारा, कसाब ने 72 को और राजीव ने 17 हज़ार को, अब आप देखिए कौन सबसे ज़्यादा जालिम है।'
अगस्त में ही उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। कतील लंबे समय से बीजेपी से जुड़े रहे हैं। वह कर्नाटक की दक्षिण कन्नड सीट से सांसद हैं और अपने छात्र जीवन से ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं। कतील 18 साल की उम्र में आरएसएस के प्रचारक बन गए थे। 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में वह सांसद चुने गए।
प्रज्ञा ठाकुर
पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान ही बीजेपी नेता साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे को 'देशभक्त' बताया था। मालेगाँव बम धमाकों की अभियुक्त रहीं प्रज्ञा ने एक पत्रकार के सवाल पूछने पर कहा था, ‘नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, हैं और रहेंगे। जो लोग उन्हें आतंकवादी कह रहे हैं, उन्हें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।’
किरकिरी होने पर उन्होंने अपने बयान पर माफ़ी मांगी थी। लेकिन बावजूद इसके वह भारी वोटों से चुनाव जीती थीं।
प्रज्ञा के पक्ष में
गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विष्णु पांड्या ने प्रज्ञा सिंह की बातों को ‘सही परिप्रेक्ष्य’ में समझे जाने की बात कही है। उन्होंने गाँधी के हत्यारे को ‘देशभक्त’ क़रार दिया। विष्णु पांड्या ने जीएसटीवी पर एक बहस के दौरान कहा, ‘गोडसे देशभक्त था, और गाँधी भी थे।’
उन्होंने कहा था,
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"जहाँ तक गोडसे को देशभक्त कहने की बात है, मुझमें यह कहने की हिम्मत है कि हां, वह देशभक्त थे, और गाँधी भी थे। सिर्फ़ उनके रास्ते अलग-अलग थे। चीजों को सही परिप्रेक्ष्य में देखने की ज़रूरत है।"
विष्णु पांड्या, तत्कालीन अध्यक्ष, गुजरात साहित्य अकादमी
अनंत हेगड़े ने की थी तारीफ़
प्रज्ञा ठाकुर को पार्टी के भीतर समर्थन मिला था और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत हेगड़े ने उनकी तारीफ़ की थी। उन्होंने प्रज्ञा के बयान को सही ठहराते हुए कहा था, ‘मैं खुश हूं कि क़रीब 7 दशक बाद आज की नई पीढ़ी इस मुद्दे पर चर्चा कर रही है और साध्वी प्रज्ञा को इस पर माफ़ी मांगने की ज़रूरत नहीं है।’
अनिल सौमित्र बने प्रोफ़ेसर
मध्य प्रदेश बीजेपी की मीडिया सेल के प्रमुख अनिल कुमार सौमित्र ने मई, 2019 में बापू को ‘फ़ादर ऑफ़ पाकिस्तान’ यानी पाकिस्तान का राष्ट्रपिता कहा था। तब विवाद बढ़ने के कारण बीजेपी ने उन्हें पद से हटा दिया था। लेकिन कुछ ही दिन पहले उन्हें पत्रकारिता के सर्वोच्च संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) में प्रोफ़ेसर नियुक्त किया गया है।
गोडसे की तारीफ करने वाले बीजेपी नेताओं में रमेश नायडू भी हैं। इन्होंने अपने ट्विटर के कवर पर मुल्क़ के वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी के साथ अपनी तसवीर को लगाया है।
ये अपने ट्वीट में लिखते हैं कि गोडसे एक सच्चे और भारत भूमि में पैदा हुए महान देशभक्तों में से एक हैं।
‘माफ़ नहीं कर पाऊंगा’
लोकसभा चुनाव के दौरान इन बयानों के कारण घिरी बीजेपी के बचाव में उतरते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे को लेकर जो भी बातें की गई हैं, वे बेहद ख़राब हैं। ये बातें पूरी तरह से घृणा के लायक हैं, सभ्य समाज के अंदर इस प्रकार की बातें नहीं चलती हैं। भले ही इस मामले में उन्होंने माफ़ी माँग ली हो, लेकिन मैं अपने मन से उन्हें कभी भी माफ़ नहीं कर पाऊंगा।’
लेकिन इसके बाद बीजेपी ने प्रज्ञा ठाकुर को संसद की एक समिति में नियुक्त कर दिया। गोडसे की तारीफ करने वाले दूसरे लोगों के ख़िलाफ़ भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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