“इस देश में जाति के आधार पर ही पदों, लाभों का वितरण और उत्पीड़न होता है। देश की जनसँख्या के कुल 15 प्रतिशत सवर्णों और उनके सहयोगियों ने पदों, लाभों और सत्ता के सभी स्रोत एवं संसाधनों को हथिया रखा है। इसलिए इस अन्यायपूर्ण स्थिति की समाप्ति के लिए बहुजन समाज को एकजुट होकर राजनीतिक सत्ता पर काबिज़ होने के लिए संघर्ष करना होगा।” कांशीराम द्वारा कही गई इस बात में आज भी उतनी ही सच्चाई है जितनी उस समय थी।
दलित राजनीति: “हक के लिये लड़ना होगा, गिड़गिड़ाने से बात नहीं बनेगी”
- विचार
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- 9 Oct, 2020

सविता आनंद
बीएसपी की स्थापना करने वाले कांशीराम ने बहुजन समाज के संघर्ष को आवाज़ दी और जीवन भर समाज के शोषित, वंचित वर्ग के हक़ के लिए लड़ते रहे। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें समर्पित यह लेख।
लेकिन विडंबना ही है कि आज भी सर्वहारा समाज अपने हितों की रक्षा के लिए उन बहुजन नेताओं की ओर टकटकी लगाए देखता रहता है जो राजनीतिक सत्ता में सिर्फ उस पॉलिटिकल रिजर्वेशन की बदौलत आए हैं, जो उन्हें बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के संविधान की वजह से मिला। ऐसे बहुत कम नेता होंगे जो अपने समाज के मुद्दों को विधानसभाओं में और संसद में उठाते हैं।
- Savita anand
- Kanshiram
सविता आनंद
सविता आनंद समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं।