ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के बाग़ी विधायकों में फूट पड़ने की ख़बर है। कांग्रेस की ओर से दावा किया जा रहा है कि इस्तीफ़ा देकर सिंधिया में आस्था जताने वाले 19 विधायकों में आधे से ज्यादा विधायक बीजेपी में जाने के लिये राजी नहीं हैं। बताया जा रहा है कि ये विधायक चाहते हैं कि सिंधिया अलग पार्टी बनायें। माना जा रहा है कि इतनी बड़ी बग़ावत के बाद अब कमलनाथ सरकार नहीं बच सकेगी। मध्य प्रदेश में पिछले सप्ताह भर से सत्ता को लेकर चल रहे संघर्ष में हर पल तसवीर बदल रही है।
मंगलवार शाम को भोपाल में हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में चार निर्दलीय विधायकों समेत कुल 94 विधायक मौजूद रहे थे। विधायकों की इस संख्या के बाद इस बात को और बल मिला था कि नंबर गेम में सदन के फ्लोर पर कमलनाथ सरकार आसानी से चित हो जायेगी।
विधायक दल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मीडिया से कहा था, ‘मेरी सरकार को कोई ख़तरा नहीं है और हम सदन के पटल पर बहुमत साबित कर देंगे। बीजेपी को उसके कुत्सित इरादों में सफल नहीं होने देंगे।’
उधर, बीजेपी विधायक दल की भी मंगलवार रात को ही बैठक हुई। उसके 107 विधायकों में 105 विधायक ही बैठक में पहुंचे थे। मां के निधन की वजह से विधायक नारायण त्रिपाठी नहीं आये थे और उनका संदेश आया था कि वह बीजेपी के साथ हैं। एक अन्य विधायक शरद कौल नदारद रहे थे। विधायक दल की बैठक के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था यह बैठक राज्यसभा चुनाव में जीत की रणनीति बनाने के लिए बुलाई गई थी।
बैठक के ठीक बाद बीजेपी कार्यालय से किसी भी विधायक को घर नहीं जाने दिया गया था। उनके घरों से कपड़ों और ज़रूरी सामान की अटैचियां मंगवाकर सीधे एयरपोर्ट और फिर वहां से स्पेशल प्लेन से दिल्ली ले जाया गया था। दिल्ली से उन्हें गुड़गांव ले जाया गया है और बीजेपी के बड़े नेताओं की निगरानी में रखा गया है। कांग्रेस भी अपने विधायकों को जयपुर ले गई है।
तमाम उठापटक के बीच कांग्रेस खेमे ने बुधवार सुबह भोपाल में मीडिया के सामने दावा किया कि सिंधिया खेमे के बाग़ी विधायक भोपाल लौटना चाहते हैं। बेंगलुरू में कथित तौर पर बीजेपी द्वारा ‘बंधक’ बनाकर रखे गये सिंधिया समर्थक कुल 19 विधायकों में ज्यादातर के कांग्रेस के ‘संपर्क’ में होने का दावा मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया सेल की चेयरपर्सन शोभा ओझा ने किया।
अपनी पार्टी बनाने की मांग
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्र दावा कर रहे हैं कि इस्तीफ़ा देने वाले सिंधिया समर्थक ज्यादातर विधायक बीजेपी के साथ नहीं जाना चाहते। वे चाहते हैं कि सिंधिया बीजेपी में शामिल होने के बजाय अलग क्षेत्रीय पार्टी बनायें। दरअसल, बग़ावत करने वाले ज्यादातर विधायक पुराने कांग्रेसी हैं। वर्षों से वे अपने-अपने क्षेत्रों में बीजेपी से दो-दो हाथ करते आ रहे हैं। वे नहीं चाहते कि जिस बीजेपी से जीवन भर लड़ते रहे अब उन्हीं के साथ जायें और भगवा झंडे तले आगे की राजनीति करें। सिंधिया खेमे के विधायकों के बीजेपी में ना जाने की कथित मंशा ने कांग्रेस में सरकार बचाने की उम्मीदों को बल दिया है।
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