आज चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए तारीख़ों की घोषणा कर दी। आगामी चुनाव 13 अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों में पूरे होंगे और 23 मई को नतीजे घोषित कर दिए जाएँगे। चुनावी तारीख़ घोषित होते ही आचार संहिता भी लागू हो जाती है। जिसके तहत सभी पार्टियों को चुनाव ख़त्म होने तक इसका कड़ाई से पालन करना होगा।
क्या होती है आचार संहिता
आचार संहिता के तहत चुनाव के वक़्त सारी राजनीतिक पार्टियों को चुनाव आयोग के द्वारा निर्देशित सारे नियमों का पालन करना होता है। अगर कोई पार्टी इन निर्देशों का पालन नहीं करती है तो चुनाव आयोग उस पर कार्रवाई करता है। ये नियम चुनावी भाषणों, मतदान दिवस, मतदान केंद्रों, चुनावी घोषणा पत्रों में किए गए वादों, रैलियों और जुलूसों और सामान्य व्यवहार पर लागू होते हैं। इन नियमों को लागू करने का चुनाव आयोग का उद्देश्य देश में निष्पक्ष चुनाव कराना होता है। आचार संहिता के समय सरकारी कर्मचारी चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार काम करते हैं।
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आचार संहिता लागू होने के बाद सरकार कोई घोषणा, उद्घाटन, शिलान्यास और सरकारी कार्यक्रम नहीं कर सकती है और न ही रैलियों के लिए सरकारी वाहनों का इस्तेमाल कर सकती है।
आचार संहिता के दौरान कोई उम्मीदवार जाति और धर्म के आधार पर वोट नहीं माँग सकता है। मतदान के 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार बंद हो जाता है, इसको ‘इलेक्शन साइलेंस’ कहते हैं।
1960 में पहली बार लगी आचार संहिता
आचार संहिता पहली बार केरल के प्रांतीय चुनाव में लागू हुई थी। जिसके बाद 1962 में ज़्यादातर पार्टियों ने इसका पालन किया और उसके बाद से ही यह लगातार लागू होती रही। 1979 में चुनाव आयोग ने इसमें एक और अनुच्छेद जोड़ दिया जिसका काम सत्तारूढ़ दल को सरकारी ताक़त का ग़लत इस्तेमाल करने से रोकना था। बता दें कि आचार संहिता चुनाव आयोग के प्रयास के बाद राजनीतिक पार्टियों में आपसी सहमति के बाद लागू हुई थी।ग़ौरतलब है कि अगर कोई पार्टी या नेता आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो उसको चुनाव आयोग द्वारा नोटिस भेजा जाता है। जिसका जवाब उसको लिखित में देना होता है और दोषी पाए जाने पर चुनाव आयोग उस पर कार्रवाई करता है।
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आचार संहिता का उल्लंघन
2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे पर आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। बीजेपी राहुल गाँधी पर मतदान के ठीक 48 घंटे पहले एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू को आचार संहिता का उल्लंघन बता रहा थी और कांग्रेस नरेंद्र मोदी पर अहमदाबाद में रोड शो को लेकर आरोप लगा रही थी।इसके अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी चुनाव आयोग के लपेटे में आ चुके हैं। गोवा में विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने मतदाताओं से कहा था कि पैसे चाहे कांग्रेस और बीजेपी से लो लेकिन वोट आम आदमी पार्टी को ही देना।
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