2014 के लोकसभा चुनाव में मतदान के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपनी पार्टी के चुनाव चिन्ह के साथ शेल्फी और 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मतदान के बाद निकाला गया रोड शो, क्या ये महज़ इत्तिफ़ाक था? महाराष्ट्र में सांगली की महापौर जब मतदान करने जाती हैं तो पार्टी के चुनाव चिन्ह के छापे वाली साड़ी पहनकर जाती हैं और बाहर निकलकर फ़ोटो भी खिंचवाती हैं। क्या यह भी इत्तिफ़ाक था? भारत की पहली उपग्रहभेदी मिसाइल के सफल परीक्षण की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा करना, नमो टीवी चैनल की शुरुआत, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा भारतीय वायु सेना को मोदी की वायु सेना कहना, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भारतीय सेना को मोदी सेना बताना, आतंकवाद की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह द्वारा चुनाव को धर्म युद्ध बोलना, क्या ये सब भी महज़ इत्तिफ़ाक हैं?
चुनाव आचार संहिता की धज्जियाँ क्यों उड़ा रहे हैं नेता?
- चुनाव 2019
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- संजय राय
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- 26 Apr, 2019

संजय राय
एक दौर था जब मुख्य चुनाव आयुक्त टी एन शेषन ने चुनाव नहीं होने दिया था। एक आज का दौर है कि चुनाव आयोग को उसकी शक्तियों की याद सुप्रीम कोर्ट को दिलानी पड़ रही है।
चुनावी सभाओं में किसी जाति विशेष या धर्म विशेष के लोगों से वोट या एकजुटता की अपील को ज़ुबान फिसलना भले ही कह सकते हैं लेकिन 'मुसलिमों की नस्लों को बर्बाद करने के लिए नरेंद्र मोदी को चुनें’ यह महज इत्तिफ़ाक नहीं हो सकता। लेकिन यह हो क्यों रहा है? इस पर नियंत्रण क्यों नहीं हो रहा? इसको लेकर चर्चाओं और बहसों का दौर शुरू है।
संजय राय
संजय राय पेशे से पत्रकार हैं और वह समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं।