महीनों तक एयर कंडीशनर स्टूडियो में बैठने के बाद अब टीवी एंकर्स चुनाव के समय मैदान में उतरे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में पैराशूट के माध्यम से उतरे हम एंकरों से अब यह उम्मीद की जा रही है कि न केवल हम रिपोर्ट करें बल्कि चुनाव नतीजे भी सही-सही बताएँ। ऐसे में, मैं जहाँ-जहाँ जा रहा हूँ, मुझसे एक ही सवाल पूछा जा रहा है कि हवा किस दिशा में बह रही है।
इस वक़्त दो तरीक़े की राजनीतिक हवा दिखाई पड़ रही है। एक तरफ़ एक पार्टी के पक्ष में लहर बनती दिख रही है तो दूसरी तरफ़ यह कहा जा रहा है कि एक रहस्यमय लेकिन शांत अंडरकरंट धीरे-धीरे दूसरे पक्ष की तरफ़ बढ़ता जा रहा है।
जब लहर नहीं, तो लोग क्यों कहते हैं आएगा मोदी ही
- चुनाव 2019
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- 10 May, 2019

पिछले 8 हफ़्तों से देश भर में दौरा करने के बाद मैं यह कह सकता हूँ कि एक शातिर राजनीतिक मशीन ने एक देश-एक नेता की कहानी पूरे देश में बुन दी है। जिसने मिथ और सच्चाई के बीच की रेखा को धूमिल कर दिया है। साथ ही, सांप्रदायिक जुमले और उज्ज्वला और आयुष्मान भारत जैसी कल्याणकारी योजनाएँ साथ-साथ चल रही हैं। इसके साथ ही रोजमर्रा की जिंदगी की तकलीफ़ें और नया भारत और मजबूत नेता का सपना भी साथ-साथ सांस ले रहा है।
देश के शीर्ष पत्रकारों और टेलीविज़न ऐंकरों में एक राजदीप सरदेसाई ने कई किताबें भी लिखी हैं। कई टेलीविज़न चैनलों में बेहद महत्वपूर्ण भमिका निभाने वाले सरदेसाई समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं।