लोकसभा चुनाव 2019 की लड़ाई में बीजेपी और कांग्रेस, उम्मीदवारों का नाम फ़ाइनल करने में ऐप का सहारा ले रहे हैं। कांग्रेस जहाँ ‘शक्ति’ ऐप के जरिये पार्टी कार्यकर्ताओं की राय ले रही है, वहीं बीजेपी नरेंद्र मोदी (नमो) ऐप के जरिये अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों में नेताओं के बारे में जानकारी जुटा रही है। पहले बात करते हैं कि बीजेपी कैसे ऐप के जरिये चुनाव की तैयारी कर रही है।
बीजेपी, नमो ऐप से मिलने वाली जानकारियों को लेकर कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इस बात से लग जाता है कि ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल पर विडियो अपलोड कर लोगों से ऐप के जरिये कराए जा रहे सर्वे में भाग लेने की अपील की है।
I want your direct feedback on various issues…take part in the survey on the ‘Narendra Modi Mobile App.' pic.twitter.com/hdshOPnOEY
— Narendra Modi (@narendramodi) January 14, 2019
‘पीपल्स पल्स’ नाम से किए गए सर्वे में पार्टी ने अपने 268 सांसदों के निर्वाचन क्षेत्रों में लोगों से पूछा है कि वे अपने संसदीय क्षेत्र के तीन लोकप्रिय नेताओं के नाम बताएँ। इस सर्वे के बाद से ही बीजेपी के सांसदों की नींद उड़ गई है। माना जा रहा है कि इसके आधार पर बीजेपी 2019 के चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम तय करेगी। इससे पहले भी पीएम मोदी पार्टी सांसदों से नमो ऐप से जुड़ने की अपील करते रहे हैं।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर लोगों से सर्वे में भाग लेने की अपील की है। देखें ट्वीट -
It is a great opportunity to share your feedback with Prime Minister Shri @narendramodi on various issues relating to our constituencies and governance.
— Amit Shah (@AmitShah) January 14, 2019
You can do that by taking the survey on the ‘Narendra Modi Mobile App' and do our bit towards a #NewIndia.
टिकट को लेकर बढ़ी चिंता
बीजेपी के ज़्यादातर सांसद हिंदी पट्टी से आते हैं और इनमें से राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी को हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में हार मिली है। इसलिए इन राज्यों के पार्टी सांसद इस सर्वे से ख़ासे बेचैन हैं। सर्वे के कारण उत्तर प्रदेश के सांसद भी 2019 में टिकट को लेकर चिंतित हैं। क्योंकि उत्तर प्रदेश में बीजेपी को पिछले कुछ समय में हुए लोकसभा व विधानसभा के उप-चुनावों में हार मिली है। नमो ऐप पर एक और अहम सवाल पूछा जा रहा है, क्या सपा-बपसा के 'महागठबंधन' का आपके संसदीय क्षेत्र में कोई असर होगा?'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने संसद के शीतकालीन सत्र में पार्टी के सांसदों से सीधे बात की थी। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान नमो ऐप से मिले फ़ीडबैक को सांसदों के साथ भी शेयर किया गया।
अब बात करते हैं कांग्रेस की। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के ‘शक्ति’ ऐप को लेकर बीते दिनों ख़ासी चर्चा हुई थी जब राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का चयन करने में पार्टी आलाकमान को ख़ासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। तब कांग्रेस अध्यक्ष ने इस ऐप के जरिये पार्टी कार्यकर्ताओं की राय ली थी।
सर्वे में आगे थीं शीला, बनीं अध्यक्ष
हाल ही में कांग्रेस को दिल्ली में नया प्रदेश अध्यक्ष चाहिए था। इसके लिए पार्टी ने दिल्ली के 24 हजार कार्यकर्ताओं की राय ली थी। दो दिन तक चले इस सर्वे में 80 फ़ीसदी कार्यकर्ताओं ने शीला दीक्षित को अपनी पंसद बताया था और पार्टी ने शीला दीक्षित को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया था। ये सभी कार्यकर्ता ‘शक्ति’ ऐप से जुड़े हुए थे। इससे पता चलता है कि पार्टी के लिए ऐप से मिलने वाली राय कितनी अहम है। दिल्ली में ही 90 हजार कार्यकर्ता इस ऐप से जुड़े हुए हैं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक़, कांग्रेस लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों के चयन और इससे जुड़ी तैयारियों के लिए भी ऐप का सहारा ले रही है। इसके अलावा ‘आईएनसीविद्या’ नाम से एक और ऐप है जो शक्ति ऐप से जुड़े कार्यकर्ताओं की जानकारी रखता है।
पार्टी नेताओं ने बताया कि वर्तमान में बूथ स्तर के लगभग 68 लाख कार्यकर्ता ‘शक्ति’ ऐप से जुड़े हुए हैं। हाल ही में हुए कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी इस ऐप के माध्यम से राहुल गाँधी ने पार्टी उम्मीदवारों के बारे में जानकारी हासिल की थी।
गंभीरता से लेते हैं राहुल
पार्टी नेताओं के मुताबिक़, राहुल गाँधी ऐप के जरिये कराए गए सर्वे को काफ़ी गंभीरता से लेते हैं। कई मामलों में तो वह सर्वे में आगे रहे पार्टी नेता को उम्मीदवार बनाने के लिए ज़्यादा अहमियत देते हैं, चाहे उसके साथ वहाँ के स्थानीय नेताओं का समर्थन नहीं हो।
इसे एक उदाहरण से समझें। राजस्थान की लाडनूं विधानसभा सीट से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने पार्टी नेता रवि पटेल के नाम की पैरवी की थी लेकिन वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने जगन्नाथ बुड़ोक का नाम आगे किया था। लेकिन इन दोनों के विरोध के बावजूद कांग्रेस ने टिकट मुकेश भाकर को दिया, जिन्होंने 13 हजार वोटों से जीत हासिल की।
वर्तमान में ‘आईएनसीविद्या’ के जरिये पार्टी गुजरात में 26 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम फ़ाइनल कर चुकी है और अन्य राज्यों में भी उम्मीदवारों के चयन का काम चल रहा है।
अपनी राय बतायें