लिंगायत विधायकों पर नज़र
बड़ी बात यह है कि येदियुरप्पा ने इस बार अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी की नज़र सत्ता पक्ष के कुल 16 विधायकों पर है। इन 16 में से 10 कांगेस के, 4 जेडीएस के और दो निर्दलीय हैं। आर. नगेश और आर. शंकर दो निर्दलीय विधायक हैं। अब तक इनका समर्थन कुमारस्वामी सरकार को रहा है। अगर ये बीजेपी के पक्ष में आते हैं तब भी विधानसभा अध्यक्ष इनपर कोई कार्रवाई नहीं करते क्योंकि वे निर्दलीय के रूप में जीतकर आए हैं। सूत्रों की मानें तो बीजेपी की नज़र कांग्रेस के उन विधायकों पर है, जो लिंगायत समुदाय से हैं। येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय के सबसे क़द्दावर नेता हैं और कुछ पीठाधिपतियों की मदद से वे कांग्रेस के लिंगायत विधायकों को अपनी ओर खींचने की कोशिश में हैं। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने रायचूर ज़िले से वोक्कालिगा जाति से संबंध रखने वाले एक कांग्रेसी विधायक के अलावा उत्तर कन्नड़ा ज़िले से एक ब्राह्मण कांग्रेसी विधायक को अपनी ओर खींच लिया है। सही समय पर ये दोनों बीजेपी के साथ खड़े नजऱ आएंगे।
येदियुरप्पा के संपर्क में कांग्रेसी विधायक
बेल्लारी ज़िले के दो कांग्रेसी विधायक भी येदियुरप्पा के सीधे संपर्क में हैं। एक विधायक अनुसूचित जनजाति से हैं और दूसरे का संबंध पिछड़ी जाति से है। बेलगाँव के एक कांग्रेसी विधायक और गुलबर्गा जिले से एक अनुसूचित जाति के एक कांग्रेसी विधायक के भी बीजेपी के साथ जाने के संकेत हैं। बीदर जिले से कांग्रेस के एक विधायक और बेल्लारी जिले से एक पूर्व मंत्री और मौजूदा क्षत्रीय विधायक के भी येदियुरप्पा का साथ देने के संकेत मिले हैं।
बीजेपी ने विधायकों को छिपाया
कांग्रेसी सूत्रों का दावा है कि उसके सभी विधायक पार्टी के संपर्क में हैं। लिहाज़ा, कर्नाटक की उनकी सरकार को कोई ख़तरा नहीं है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बीजेपी सिर्फ़ कर्नाटक में गड़बड़ी दिख़ाकर मध्य प्रदेश में सरकार के लाने का खेल करना चाहती है। लेकिन वहां भी उसे कामयाबी नहीं मिलेगी।
बीजेपी भले ही कांग्रेस और जेडीएस विधायकों के संपर्क में होने की बात कर रही हो लेकिन उसे कहीं ना कहीं यह डर भी है कि कांग्रेस भी उसके कुछ विधायकों को तोड़ कर उसकी कोशिशें नाकाम कर सकती है। इसलिए बीजेपी ने अपने सभी विधायकों को गुड़गांव के एक होटल में ठहरा दिया है।
जहां तक जेडीएस की बात है, तुमकूर और रायचूर ज़िले से एक-एक विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं। येदियुरप्पा की नज़र कांग्रेस और जेडीएस के लिंगायत विधायकों पर ज्यादा है। सूत्रों की मानें तो फिलहाल पांच विधायक उसके पास आ चुके हैं, इनमें से तीन मुम्बई और दो गोवा में बीजेपी नेताओं की देखरेख में हैं। जब बीजेपी करीब 12 विधायकों को अपने पाले में पूरी तरह से ला लेगी तब सरकार गिराने की कोशिश सार्वजनिक हो जाएगी। सूत्रों ने बताया कि बीजेपी के सभी विधायकों और कांग्रेस-जेडीएस के बागी विधायकों को साथ लेकर येदियुरप्पा कर्नाटक के राज्यपाल से मिलेंगे और कुमारस्वामी सरकार को बर्खास्त करने की मांग करेंगे।
चूँकि राज्यपाल से मिलने के बाद कांग्रेस और जेडीएस के नेताओं के बागी विधायकों की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग किए जाने की संभावना है, और एन्टी डिफेक्शन लॉ के तहत कार्रवाई का डर भी है, इसलिए बीजेपी विधानसभा भंग करवाने की कोशिश करेगी।
बीजेपी इस बार सरकार नहीं बनाना चाहती है, वह बस सरकार गिराना चाहती है। बीजेपी के नेता चाहते हैं कि कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार गिरने के बाद विधानसभा भंग करवा दी जाए और लोकसभा चुनाव के साथ ही कर्नाटक में विधानसभा चुनाव भी करवा दिए जाएँ। विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि बीजेपी के रणनीतिकारों को लगता है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ-साथ होने पर ही कर्नाटक में बीजेपी को बहुत फ़ायदा होगा। इतना फ़ायदा कि वह कर्नाटक में अपने दम पर सरकार बना लेगी और लोकसभा की 28 सीटों में से कम से कम 20 पर उसकी जीत होगी।
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