तेलुगु फ़िल्मों के सुपर स्टार और तेलुगु देशम पार्टी के संस्थापक एन. टी. रामाराव (एनटीआर) के जीवन पर बनी फ़िल्म की वजह से अचानक पूर्व मुख्यमंत्री नादेण्डला भास्कर राव सुर्खियों में आ गए हैं। मीडिया को दिए उनके इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। भास्कर राव ने एनटीआर पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। भास्कर राव ने आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को भी नहीं बख़्शा है। आरोप इतने गंभीर हैं कि इनसे एनटीआर और चंद्रबाबू की छवि पर बुरा असर पड़ने के आसार हैं।
राजनीतिक संन्यास ले चुके भास्कर राव आखिर क्यों एनटीआर पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं? इसके पीछे एक ख़ास वजह है। हाल ही में एनटीआर के जीवन पर आधारित फ़िल्म बनी है। यह फ़िल्म दो भागों में है। पहले हिस्से में एनटीआर के फ़िल्मी सफ़र को दर्शाया गया है। फ़िल्म 'एनटीआर कथानायकुडु' के नाम से 9 जनवरी को रिलीज़ हुई थी। फ़िल्म का दूसरा और आख़िरी भाग 'एनटीआर महानायकुडु' के नाम से जल्द ही रिलीज़ होगा। इस हिस्से में एनटीआर के राजनीतिक सफ़र को दर्शाया जाएगा। मीडिया के ज़रिए यह बात सार्वजनिक हो गई थी कि फ़िल्म में नादेण्डला भास्कर राव को खलनायक के तौर पर दिखाया जा रहा है। इसी बात से भास्कर राव भड़क गए। वह अब मीडिया की मदद से यह साबित करने की कोशिश में हैं कि वह खलनायक नहीं हैं, बल्कि असलियत में एनटीआर ही सबसे बड़े खलनायक थे।
एनटीआर के साथ थे भास्कर राव
ग़ौर करने वाली बात यह है कि नयी पार्टी बनाने में भास्कर राव ने एनटीआर की मदद की थी। भास्कर राव कांग्रेस में थे और उभरते हुए नेता थे। एनटीआर ने कांग्रेस की नीतियों, ख़ास तौर पर कांग्रेस आलाकमान, प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के तेलुगु राजनेताओं के प्रति रवैये के ख़िलाफ़ राजनीतिक पार्टी बनाने का फ़ैसला लिया था। एनटीआर ने भास्कर राव से भी सलाह-मशवरा किया था। एनटीआर के अनुरोध पर भास्कर राव ने कांग्रेस छोड़ दी और एनटीआर के साथ जुड़ गए। एनटीआर ने जब एलान किया कि वह तेलुगु देशम पार्टी के नाम से राजनीतिक पार्टी बना रहे हैं तब कई लोग उनकी पार्टी में शामिल हुए।
पार्टी बनने के 9 महीने के बाद ही तेलुगु देशम पार्टी सत्ता में आ गई और एनटीआर मुख्यमंत्री बने थे। 1983 में हुए विधानसभा चुनाव में टीडीपी की भारी जीत हुई, उसे अपने पहले चुनाव में ही राज्य की 294 सीटों में से 202 सीटें हासिल हुईं। एनटीआर ने भास्कर राव को भी मंत्री बनाया था।'
और फिर भास्कर ने बग़ावत कर दी थी
कुछ समय तक तो सब ठीक था। लेकिन, कुछ महीनों बाद नादेण्डला भास्कर राव ने कांग्रेस की मदद से एनटीआर के ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी। टीडीपी के बाग़ी विधायकों और कांग्रेस के विधायकों की मदद से भास्कर राव मुख्यमंत्री बने। यह बग़ावत उस समय हुई थी जब मुख्यमंत्री एनटीआर विदेश में थे। बग़ावत की बात का पता चलते ही एनटीआर भारत लौटे और 'सेव डेमोक्रेसी' के नाम से अभियान चलाया। इस अभियान में उन्हें जनता पार्टी, वामपंथी पार्टियों और दूसरी पार्टियों से भी मदद मिली। चूँकि इस अभियान को जनता का भी समर्थन था, भास्कर राव को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा। उनकी सरकार गिर गई। इसके बाद 1985 में जब दुबारा चुनाव हुए तो एनटीआर की तेलुगु देशम की भारी जीत हुई। लेकिन इस घटनाक्रम में भास्कर राव की ख़ूब फ़ज़ीहत हुई।
अब एनटीआर के जीवन पर बनी फ़िल्म में बग़ावत वाले इसी घटनाक्रम को दर्शाया जाएगा। भास्कर राव को ख़बर मिल गई है कि फ़िल्म में उन्हें खलनायक के तौर पर पेश किया गया है। इसी से नाराज़ भास्कर राव के बड़े बेटे ने फ़िल्म निर्माता और निर्देशक को एक क़ानूनी नोटिस भी भेजा है।
- साथ ही भास्कर राव मीडिया के ज़रिये एनटीआर और चंद्रबाबू के ख़िलाफ़ आग उगल रहे हैं। भास्कर राव के इंटरव्यू सभी प्रमुख तेलुगु ख़बरिया चैनलों पर चल चुके हैं। एनटीआर और चंद्रबाबू पर भास्कर राव के आरोप और बयानों से जुड़े विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
भास्कर राव ने आरोप लगाया है कि एनटीआर आपराधिक प्रवृत्ति के थे। इतना ही नहीं, एनटीआर के एक युवती के साथ संबंध थे और जब वह युवती गर्भवती हुई, एनटीआर ने उसे छोड़ दिया था।
- इसी तरह के कई गंभीर आरोप भास्कर राव ने एनटीआर पर लगाए हैं। भास्कर राव ने अपने इन्हीं मीडिया इंटरव्यू में कहा है कि वह जब कांग्रेस सरकार में मंत्री थे तब चंद्रबाबू दूसरों की पैरवियाँ करवाने उनके पास आते थे। ज़्यादातर मामले सरकारी कर्मचारियों से जुड़े होते थे। भास्कर राव ने मीडिया इंटरव्यू में कहा कि पुलिसवालों ने उन्हें चंद्रबाबू के बारे में एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें कहा गया था कि वे पॉकेटमारी करते हैं।
आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं
ग़ौरतलब है कि इन आरोपों पर तेलुगु देशम पार्टी, चंद्रबाबू नायडू, एनटीआर के परिजनों, फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। दिलचस्प बात तो यह है कि विपक्षी पार्टियाँ भी चुप हैं। एनटीआर की पत्नी लक्ष्मी पार्वती जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस में हैं। लेकिन न उनकी ओर से और न ही उनकी पार्टी की ओर से भास्कर राव के आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया आई है। एनटीआर की बेटी पुरंदेश्वरी बीजेपी में हैं। लेकिन दोनों - बीजेपी और पुरंदेश्वरी भी इस मामले में फ़िलहाल चुप हैं।
- राजनीति के जानकारों का कहना है कि सभी नेता भास्कर राव के आरोपों पर चुप ही रहेंगे, क्योंकि अगर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया दी दो डर इस बात का है कि कहीं भास्कर राव उन्हीं पर गंभीर आरोप न लगा दें। इन आरोपों से भास्कर राव का कुछ नुक़सान नहीं होगा क्योंकि वे सक्रिय राजनीति से दूर हैं और उनकी उम्र 80 के पार है।
ग़ौर करने वाली बात यह भी है कि एनटीआर से बग़ावत करने के बाद भास्कर राव कांग्रेस में वापस आ गए थे और राजनीतिक संन्यास लेने तक वह कांग्रेस में ही थे। उनके बेटे नादेण्डला मनोहर काफ़ी समय तक कांग्रेस में रहे और अविभाजित आंध्र प्रदेश विधानसभा के स्पीकर भी बने। कुछ महीने पहले ही उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और फ़िल्म स्टार पवन कल्याण की पार्टी जनसेना में शामिल हो गए।
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