कथा सम्राट प्रेमचंद का पहला कहानी संग्रह 'सोज़-ए-वतन (1908) को जब ब्रिटिश हुक़ूमत ने प्रतिबंधित किया था और बाज़ार में जहाँ-तहाँ इसकी प्रतियों को जलाकर ख़ाक़ कर दिया था तब किसी ने कल्पना भी न की होगी कि आज़ाद भारत में कभी ऐसा 'कलयुग’ भी आएगा जब उनके लिखे को विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों से बेदखल किया जाएगा और उनके लिखे को कूड़ा कहने की जुर्रत की जाएगी।