कथा सम्राट प्रेमचंद का पहला कहानी संग्रह 'सोज़-ए-वतन (1908) को जब ब्रिटिश हुक़ूमत ने प्रतिबंधित किया था और बाज़ार में जहाँ-तहाँ इसकी प्रतियों को जलाकर ख़ाक़ कर दिया था तब किसी ने कल्पना भी न की होगी कि आज़ाद भारत में कभी ऐसा 'कलयुग’ भी आएगा जब उनके लिखे को विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों से बेदखल किया जाएगा और उनके लिखे को कूड़ा कहने की जुर्रत की जाएगी।
सेठ संपादक के कूड़ेदान में फेंके गए प्रेमचंद
- साहित्य
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- अनिल शुक्ल
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- 22 Jun, 2020


अनिल शुक्ल
हंस संपादक संजय सहाय ने एक बयान देकर प्रेमचंद पर विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा है कि प्रेमचंद की 20-25 कहानियों को छोड़ बाक़ी सब ‘कूड़ा’ हैं। क्या संजय सहाय को यह नहीं पता है कि प्रेमचंद आधुनिक विश्व साहित्य के उँगलियों पर गिने जाने वाले उन कथाकारों में हैं जिनकी कहानियों और उपन्यासों का अनुवाद आज भी सभी भारतीय भाषाओं सहित विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं में होता है?
हिंदी की प्रमुख कथा पत्रिका 'हंस' के सम्पादक संजय सहाय ने 20 जून को 'फ़ेसबुक' के एक लाइव इंटरव्यू में कहानियों के मूल्यांकन पर पूछे गए पाठकों-लेखकों के सवाल जवाब की शृंखला में मुंशी प्रेमचंद का लेखकीय मूल्यांकन करते हुए बड़बोलेपन में कहा कि- प्रेमचंद की 20-25 कहानियों को छोड़ बाक़ी सब ‘कूड़ा’ हैं।