यह सत्ता संघर्ष की एक ऐसी कहानी है जिसमें कोई एक किरदार न तो नायक है और न ही खलनायक। सब अपनी जगह जितने बड़े नायक हैं, उतने ही बड़े खलनायक भी। राजसत्ता का यह संघर्ष मान-सम्मान, बदला, छल, कपट, साज़िश, विद्रूपता, लालच, वीभत्सता और क्रूरता जैसे मानव जीवन के कई रंगों को रेखांकित करता है। यह एक ऐसी कहानी है जिसमें भाई भाई का न हुआ, बेटा बाप का न हुआ और बाप बेटों का नहीं हुआ। इसमें राजा बनने की चाह अपनों का ही सर क़लम करवाती है, जिसमें ख़ून के ही रिश्ते एक दूसरे के ख़ून को प्यासे हैं। यह कहानी है अब से क़रीब साढ़े तीन सौ साल पहले मुग़लकाल की। जिसमें दो बड़े किरदार हैं। औरंगज़ेब और दारा शिकोह।