टीवी चैनलों और उनके ऐंकरों ने घोषणा कर दी है कि सिस्टम फेल हो गया है। हालाँकि ऐंकरों की घोषणाओं को कोई गंभीरता नहीं लेता और लिया भी नहीं जाना चाहिए, क्योंकि वे ख़बरों को लेकर कभी गंभीर नहीं रहते हैं। मगर चूँकि वे सिस्टम के अंदर घुसे हुए हैं और उसका हिस्सा हैं, इसलिए उनकी घोषणा का महत्व तो है ही। इसलिए करबद्ध प्रार्थना है कि उनकी घोषणा को गंभीरता से लिया जाए।
ये एंकर्स, सिस्टम को फेल करने वाले वायरस हैं
- साहित्य
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- 26 Apr, 2021

यह तो आप जानते ही हैं कि यूँ ही कोई बेवफ़ा नहीं होता। रही होगी उनकी कोई मजबूरी। उनके मालिकों-संपादकों की पूँछ कहीं दबी होगी या कोई अर्ज़ी कहीं किसी के दरबार में लगी होगी। पूछने पर भी वे नहीं मानेंगे कि सिस्टम हैक हुआ है। वे सिस्टम-सिस्टम करते रहेंगे, ताकि लोग उसी में अटके रहें और हैकर्स के बारे में भूल जाएं।
अब आपका प्रश्न होगा कि बतोलेबाज़ ऐंकरों ने सिस्टम के फेल होने की जो बात कही है उसमें नया क्या है? देश को तो बहुत पहले पता चल गया था कि सिस्टम फेल हो गया है। दर्शक मीडिया के चाल-चरित्र और लक्षणों को, उसके व्यवहार को, प्राइम टाइम की बहसों और समाचारों को बहुत पहले से देखकर महसूस कर रहे थे कि सिस्टम तो गयो।
ऐंकरों और रिपोर्टरों के हाव-भाव, रंग-ढंग, दबाव-प्रभाव से उन्होंने जान लिया था कि अब ये सिस्टम काम नहीं कर रहा है, इसे हैक कर लिया गया है।
ऐंकरों और रिपोर्टरों के हाव-भाव, रंग-ढंग, दबाव-प्रभाव से उन्होंने जान लिया था कि अब ये सिस्टम काम नहीं कर रहा है, इसे हैक कर लिया गया है।