अश्वेत और ग़ैर गोरे समाजों का अमेरिकी पुलिस एवं न्याय व्यवस्था पर भरोसा इतना कम है कि वे हमेशा उसको लेकर सशंकित रहते हैं। उनके अंदर यह खटका हमेशा बना रहता है कि गोरों के प्रभुत्व वाली और ग़ैर गोरों के प्रति नफ़रत तथा हिंसा से सराबोर व्यवस्था उन्हें इंसाफ़ देने की राह में हज़ार अड़चनें खड़ी करेगी और अपराधी बच निकलेंगे। वे दूध के जले हैं इसलिए छाछ भी फूँक-फूँक कर पीते हैं।
फ़्लॉयड मामले में फ़ैसले से खुश लोग आशंकित क्यों हैं?
- विचार
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- 22 Apr, 2021

फ्लॉयड मामले में उनका हत्यारा पुलिस अधिकारी डेरेक शॉवेन ही नहीं, पूरा गोरा अमेरिका कठघरे में था, वह गोरा अमेरिका जिसने 400 सालों से अश्वेतों को हिंसक तौर-तरीकों से गुलाम बनाकर रखा और जो अभी भी बहुत कम बदला है। इसीलिए हम पाते है कि फ्लॉयड मामले पर जब फैसला सुनाया जा रहा था तो मिनेसोटा में एक और गोरे पुलिस अधिकारी ने बीस साल के नौजवान डांट राइट को मार डाला।
यही वज़ह है कि जॉर्ज फ्लॉयड के मामले में भी वे पूरी तरह से आश्वस्त नहीं थे कि उन्हें न्याय मिल ही जाएगा, जबकि यह केस ऐसा था कि कोई भी जज या जूरी आँख मूँदकर फ़ैसला कर सकता था। फ्लॉयड की हत्या के तमाम सबूत मौजूद थे। नौ मिनट तक जिस तरह से उनकी गर्दन को दबाकर गोरे पुलिस अधिकारी डेरेक शॉवेन ने साँस रोक दी थी, इसका वायरल वीडियो पूरी दुनिया ने देखा था।