‘ईदगाह’ बच्चों के लिए लिखी गई कहानी है या बड़ों के लिए? इस कहानी को पढ़ते हुए जो पीढ़ियाँ गुज़री हैं, उनमें इस सवाल पर एक राय नहीं है। हिंदी के पाठक इस कहानी के साथ-साथ बड़े होते हैं। इसलिए कि यह स्कूल में और फिर आगे की कक्षाओं में भी पाठ्यपुस्तकों के लिए आदर्श कहानी मानी जाती है। बच्चों को उनकी ज़िम्मेदारी की शिक्षा इस कहानी से मिलती है, यह बहुतों का खयाल है तो यह भी कि यह एक ऐसी व्यवस्था की कहानी है जहाँ हामिद जैसे बच्चों का बचपन छिन जाता है।
प्रेमचंद- 140, पाँचवीं कड़ी : धार्मिकता के संगठित पक्ष से पवित्रता नहीं हिंसा का जन्म होता है?
- साहित्य
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- 25 Jul, 2020

पवित्रता, पाकीज़गी का धर्म से क्या रिश्ता है? क्या धार्मिक भाव अनिवार्यतः पवित्रता से जुड़ा हुआ है? या धार्मिकता का जो सामाजिक रूप है या संगठित पक्ष है, उससे पवित्रता नहीं हिंसा का जन्म होता है? क्या ऐसा होना अनिवार्य है? ...प्रेमचंद के 140 साल पूरे होने पर सत्य हिन्दी की विशेष श्रृंखला की पाँचवीं कड़ी।
कहानी के कई स्तर हैं और वह अलग-अलग वक़्त अलग-अलग ढंग से पढ़ी जा सकती है। कहानी का केंद्र हामिद ज़रूर है, लेकिन ईद के पर्व और नमाज़ के वर्णन को मात्र आनुषंगिक मान लेना भूल होगी।