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क्या केंद्र सरकार केरल विधानसभा चुनाव 2021 के ठीक पहले मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को फँसाना चाहती है? क्या वह सोने की तस्करी के मामले में उनका नाम सामने लाकर उन्हें बदनाम करना चाहती है ताकि उसका राजनीतिक फ़ायदा उठाया जा सके?
ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि कस्टम्स विभाग का कहना है कि स्वपना सुरेश ने कहा है कि मुख्यमंत्री के कहने पर ही उन्होंने सोने की तस्करी की थी, जबकि इस मामले की जाँच कर रही नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेन्सी का कहना है कि इसका कोई सबूत नहीं है।
सोने की तस्करी के मामले की जाँच एनआईए अनलॉफ़ुल एक्टिविटीज़ प्रीवेन्शन एक्ट यानी यूएपीए के तहत कर रही है। उसने स्वप्ना सुरेश को गिरफ़्तारी करने के बाद उनसे लंबी पूछताछ की। एनआईए के अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "कम के कम हमारी जाँच में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है। स्वप्ना सुरेश ने हमसे ऐसा कोई दावा नहीं किया है।"
इसी तरह एनआईए ने जनवरी में दायर चार्जशीट में मुख्यमंत्री पी विजयन के पूर्व प्रमुख सचिव एम शिवशंकर का नाम नहीं लिया है। शिवशंकर का नाम स्वप्ना के नाम से जुड़ा पाया गया था और प्रवर्तन निदेशालय यानी एनफ़ोर्समेंट डाइरक्टरेट ने उन्हें गिरफ़्तार कर उनसे लंबी पूछताछ की थी।
मनी लॉन्डरिंग यानी ग़लत तरीके से पैसे विदेश भेजने के आरोप में गिरफ़्तार किया था। इसके साथ ही उसने सरकारी एजेन्सियों की भी छानबीन की थी, जिनकी अनुमति शिवशंकर ने पद पर रहते दी थी।
नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेन्सी ने बाद में कहा था कि उसे इसका कोई सबूत नहीं मिला जिससे यह साबित होता हो कि सोने की तस्करी से शिवशंकर किसी रूप में जुड़े थे।
इसने स्वप्ना के बार में चार्जशीट में कहा था, "अब तक की जाँच से पता चलता है कि अभियुक्त ने जून 2019 से ही साजिश रची थी, पैसे एकत्रित किए थे और संयुक्त अरब अमीरात से सोने की तस्करी की थी। उसने नवंबर 2019 और जून 2020 के बीच यूएई के तिरुवनंतपुरम में कार्यरत वाणिज्य दूत के इम्पोर्ट कारगो के रूप में 167 किलो सोने की तस्करी की थी। यह महत्वपूर्ण है कि अभियुक्त ने बहरीन, सऊदी अरब और मलेशिया से भी सोने की तस्करी की थी।"
लेकिन इसमें एम शिवशंकर या मुख्यमंत्री विजयन का नाम कहीं नहीं था।
याद दिला दें कि वाम मोर्चा की सरकार उस समय मुसीबत में फंस गई थी, जब तिरुवनंतपुरम के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों ने क़रीब तीस किलो सोना ज़ब्त किया था। ख़ुफ़िया और पुख़्ता जानकारी पर कार्रवाई करते हुए सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों ने यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) से आए इस कथित राजनयिक सामान की जाँच की थी।
जाँच में अधिकारियों ने पाया कि सोने की तस्करी की कोशिश की गयी है। राजनयिक दफ़्तर का सामान बताकर उसमें क़रीब 30 किलो सोना छिपाया गया था।
अधिकारियों ने यूएई से आए इस सामान पर अपना दावा पेश करने वाले सरित कुमार नाम के शख्स को हिरासत में लिया और पूछताछ शुरू की। पूछताछ के दौरान कई सनसनीखेज़ बातें सामने आयीं। सूत्रों के मुताबिक़, सरित कुमार ने क़बूल किया कि इससे पहले भी इस तरह के सामान यूएई से केरल लाए गए हैं।
सरित ने यह भी क़बूल किया कि वह खुद को यूएई दूतावास का जन संपर्क अधिकारी बताकर एयरपोर्ट से सामान लिया करता था। अधिकारियों को समझने में देर न लगी कि सोने की तस्करी कई दिनों से चल रही थी। सोना दूसरे सामानों में छिपाकर यूएई से लाया जाता था और उसे राजनयिक सामान बताकर एयरपोर्ट से ले जाया जाता था। पूछताछ में सरित कुमार ने स्वप्ना सुरेश नाम की एक महिला का नाम लिया।
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