इसी साल केरल विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए मेट्रो मैन के नाम से मशहूर ई. श्रीधरन ने कहा है कि अब उनकी सक्रिय राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है। केरल चुनाव से पहले बीजेपी ने श्रीधरन को राज्य में मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया था। लेकिन चुनाव में वह अपनी सीट तो नहीं ही जीत पाए थे, बीजेपी का भी राज्य में खाता नहीं खुल पाया था।
ई श्रीधरन ने जब बीजेपी में शामिल होने की बात कही थी तभी इस पर चर्चा शुरू हो गई थी कि आख़िर देश में मेट्रो के लिए इतना बड़ा नाम कमाने वाले और इतने बड़े क़द की शख्सियत ने ऐसा फ़ैसला क्यों लिया! वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक ने लिखा था कि 'श्रीधरनजी के कंधे पर सवार बीजेपी को केरल में वोट तो ज्यादा ज़रूर मिलेंगे लेकिन उनका कद छोटा हो जाएगा। एक राष्ट्रीय धरोहर, पार्टी-पूंजी बन जाएगी।'
ई श्रधरन का नाम कितना बड़ा है, यह बताने की ज़रूरत नहीं है! उन्होंने दिल्ली, कोलकाता और कोंकण मेट्रो का चमत्कार किया। कहा जाता है कि दिल्ली की मेट्रो ऐसी है, जैसी कि दुनिया की कोई भी मेट्रो है।
अब उन्हीं श्रीधरन ने सक्रिय राजनीति से हायतौबा कर ली है। उन्होंने आज मीडिया से कहा, 'मैं सक्रिय राजनीति में नहीं रहूंगा। वह वक़्त गुजर चुका है। मैंने (राजनीति) नहीं छोड़ी है, लेकिन अब मुझे इधर-उधर भागने में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैं 90 साल की उम्र में हूं।' उन्होंने कहा कि वह कभी राजनेता नहीं थे और एक नौकरशाह के रूप में राजनीति में आए थे। उन्होंने कहा, 'मैं राजनीति से परे भी तीन ट्रस्टों के जरिए लोगों की सेवा कर रहा हूं।'
उन्होंने स्वीकार किया कि चुनावी हार के बाद वह 'थोड़ा निराश' थे। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, श्रीधरन ने कहा, 'लेकिन अब जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ तो मुझे कोई निराशा नहीं होती है। क्योंकि एकमात्र विधायक के रूप में मैं कुछ नहीं कर सकता था। राज्य में सत्ता के बिना, एक विधायक कुछ नहीं कर सकता।'
ई श्रीधरन पलक्कड़ निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के मौजूदा विधायक शफी परम्बिल से चुनाव हार गए थे।
ई श्रीधरन को भाजपा ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में खड़ा किया था, लेकिन पार्टी विधानसभा चुनावों में एक भी सीट जीतने में विफल रही। सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चे को लगातार दूसरी जीत मिली।
बीजेपी में शामिल होने से पहले श्रीधरन ने कहा था, 'मैं रिटायरमेंट के बाद पिछले 10 साल से केरल में रह रहा हूं। मैंने यहां कई सरकारें देखीं और लोगों के लिए जो किया जाना चाहिए, वे नहीं कर रही हैं। मैं बीजेपी में इसलिए जा रहा हूं कि अपने अनुभव का इस्तेमाल कर सकूं।'
बता दें कि श्रीधरन 2011 में दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के प्रमुख पद से रिटायर हुए थे। वह जयपुर, लखनऊ और कोच्चि के रेल प्रोजेक्ट्स को शुरू करने के काम में भी शामिल रहे थे। उन्हें 2001 में पद्म श्री और 2008 में पद्म विभूषण का सम्मान मिला था।
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